भारत की सड़कों पर आज एक से एक लग्जरी कारें दौ़ड़ती नजर आती हैं, लेकिन भारत में बनी पहली कार अंबेसडर थी। दशकों तक नौकरशाहों और नेताओं की सवारी रही अंबेसडर अब बहुत कम ही दिखती है, लेकिन आज भी इसके दीवानों की कमी नहीं है। यह युनाइटेड किंगडम की मॉरिस ऑक्सफोर्ड के बेस पर बनी थी। मॉरिस ऑक्सफोर्ड मॉडल बनाने के लिए मॉरिस मोटर्स के साथ एक टेक्निकल कोलैबोरेशन में कोलकाता में इसका निर्माण हुआ था। इसे ही बाद में एचएम अंबेसडर कहा गया।
साल 1958 में हिन्दुस्तानियों के लिए इंडियन मोटर्स ने एंबेसडर कार निकाली थी और एंबेसडर कार ने ही भारत में सही मायनों में मेक इन इंडिया की शुरुआत की थी। इंडियन मोटर्स की ये कार इतनी अच्छी और मजबूत थी कि ये आसानी से भारी वजन सह लेती थी और सबसे बड़ी और ख़ास बात तो ये थी कि इसके रख-रखाव में ज्यादा खर्चा नहीं आता था। ये तेजी से भारत की सड़कों पर घूमती थी।
हिंदुस्तान मोटर्स कंपनी ने एंबेसडर का प्रोडक्शन 1958 से लेकर 2014 तक किया था। हिंदुस्तान मोटर्स ने बाजार में सबसे पहले मार्क I फर्स्ट जनरेशन का प्रोडक्शन शुरू किया था, जिसे 1957 से 1962 तक बनाया गया था। उसके बाद मार्क II को 1962 से 1975 तक बनाया गया। उसके बाद मार्क III को 1975 में बनाया गया।
उसके बाद मार्क IV को 1979 से 1990 तक बाजार में बेचा गया। उसके बाद एंबेसडर नोवा को 1990 से 1999 बनाया गया।
एंबेसडर 1800 आईएसजेड (क्लासिक) 1992 से 2011 तक बाजार में बेची गई। एंबेसडर ग्रांड 2003 में लॉन्च की गई और 2007 में इसका नया वेरिएंट भी उतारा गया। 2004 में एंबेसडर एविगो को उतारा गया, जो कि काफी ज्यादा हाइटेक भी थी। आखिर में एंबेसडर एनकोर 2013 में लॉन्च की गई। साल 2017 में एंबेसडर कार बनाने वाली कंपनी हिंदुस्तान मोटर्स मात्र 80 करोड़ रुपये में बेच दी गई थी।
अंत में ऐसा समय आया कि इंडियन मोटर्स ने 2014 में एंबेसडर कारों का उत्पादन बंद कर दिया। एंबेसडर बहुत ही लंबे समय तक सबके दिलों में छाई रही और भारत की सड़कों पर घूमती रही। आज भी लोगों को एंबेसडर कार का महत्व याद है।