बेजुबानों की जान के लिए जोखिम न बन जाए दिवाली की आतिशबाजी, बेचैनी में जान बचाकर भागने में जानवर भी होते हैं हादसों का शिकार

। प्रकाश पर्व दीपावली खुशी व उल्लास का त्योहार है। दीपावली पर होने वाली आतिशबाजी इंसान से ज्यादा पशु-पक्षियों के लिए घातक साबित होती है। आतिशबाजी से निकलने वाली दूषित गैस और जहरीले तत्व पशुओं से ज्यादा पक्षियों के लिए हानिकारक हैं। पटाखों की धमक से पालतू पशु भी बेचैन होकर जान बचाने के प्रयास में घायल होते हैं। यहां तक कि कुछ की मौत भी हो जाती है। पशु चिकित्सक, पशु प्रेमी और पर्यावरणविद की राय में धमाके और प्रदूषित वायु जीवों के लिए घातक हैं। पालतू पशुओं के साथ वन्य जीव संरक्षण के मद्देनजर भी पटाखों से परहेज किया जाना चाहिए।
मुख्य पशु चिकित्सा अधिकारी डॉ. ज्ञानप्रकाश कहते हैं कि पालतू पशु जैसे गाय-बैल, कुत्ता-बिल्ली, बकरी, भैंस आदि तेज आवाज सुनने के आदी नहीं होते हैं। पटाखों की तीव्र आवाज उनके लिए किसी भयंकर अनहोनी का संकेत की तरह होती है। धमाका होते ही यह पशु बेचैन हो बिना समझे किसी भी दिशा में दौड़ लगा देते हैं। चारों तरफ धमाके होने पर यह बेहोश होकर गिर भी जाते हैं। कुत्ते असुरक्षित समझ कर हमलावर भी हो सकते हैं। ग्रामीण इलाकों में पशु अधिक पाले जाते हैं। खुला इलाका होने के कारण पटाखों की आवाज भी तेज और दूर तक गूंजने वाली होती है। यही कारण है कि दीपावली के आसपास ग्रामीण इलाके के पशुओं के घायल होने की घटनाएं बढ़ जाती हैं। पशुओं के हित में बेहतर होगा कि दीप जलाए जाएं और आवाज नहीं करने वाली ग्रीन आतिशबाजी की जाए।

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