•सेला सुरंग से राष्ट्रीय सुरक्षा को मजबूत होगी और अरुणाचल प्रदेश का सामाजिक-आर्थिक विकास सुनिश्चित होगा
• सीमा सड़क संगठन सशस्त्र बलों की संचालनात्मक तत्परता बढ़ाने के अलावा सीमावर्ती क्षेत्रों में रोजगार पैदा करने और पर्यटन को बढ़ावा देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है
• मोटरसाइकिल अभियान का लक्ष्य राष्ट्रीय एकता और राष्ट्र निर्माण का संदेश देना है
नई दिल्ली
रक्षामंत्री श्री राजनाथ सिंह ने आज नई दिल्ली में सीमा सड़क संगठन (बीआरओ) द्वारा आयोजित एक कार्यक्रम में वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से सेला सुरंग की मुख्य ट्यूब का उद्घाटन किया और ‘इंडिया@75 मोटरसाइकिल अभियान’ को हरी झंडी दिखाकर रवाना किया। अपने संबोधन में राजनाथ सिंह ने कहा कि अरुणाचल प्रदेश के पश्चिम कामेंग जिले में स्थित सेला सुरंग राष्ट्रीय सुरक्षा को मजबूत करने और क्षेत्र के सामाजिक-आर्थिक विकास को सुनिश्चित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी।
317 किलोमीटर लंबी बालीपारा-चारदुआर-तवांग (बीसीटी) सड़क पर स्थित सेला दर्रा 13,800 फीट की ऊंचाई पर है, जो अरुणाचल प्रदेश के पश्चिम कामेंग, पूर्वी कामेंग और तवांग जिलों को देश के शेष हिस्सों से जोड़ता है। यह यात्रा में लगने वाले समय को कम करता है और तवांग को हर मौसम में कनेक्टिविटी प्रदान करता है।
अपने संबोधन में श्री राजनाथ सिंह ने प्रतिकूल मौसम में अत्यधिक ऊंचाई पर सड़कों, पुलों, सुरंगों एवं हवाई क्षेत्रों का निर्माण करके और दूर-दराज के क्षेत्रों को कनेक्टिविटी मानचित्रों पर दिखाकर राष्ट्र की प्रगति में महत्वपूर्ण योगदान करने के लिए बीआरओ की सराहना की। उन्होंने कहा कि सीमावर्ती बुनियादी ढांचे को मजबूत करने के लिए बीआरओ के प्रयासों ने सशस्त्र बलों की संचालनात्मक तत्परता को बढ़ाया है, दूर-दराज के क्षेत्रों में पर्यटन को प्रोत्साहित किया है और स्थानीय लोगों के लिए रोजगार के अवसर पैदा किए हैं। उन्होंने कहा कि यह अत्याधुनिक सुरंग तवांग ही नहीं बल्कि पूरे राज्य के लिए जीवन-रेखा साबित होगी।
रक्षामंत्री ने 10,000 फीट की ऊंचाई पर दुनिया की सबसे लंबी राजमार्ग सुरंग – अटल सुरंग, रोहतांग और पूर्वी लद्दाख में 19,300 फीट पर दुनिया का सबसे ऊंचे मोटरेबल पास – उमलिंगला दर्रा के निर्माण के बारे में विशेष चर्चा की। उन्होंने कहा, बीआरओ की हाल की ये उपलब्धियां पूरी दुनिया के लिए अध्ययन का विषय बन गई हैं।
बीआरओ द्वारा आयोजित दिन के दूसरे कार्यक्रम की चर्चा करते हुए, श्री राजनाथ सिंह ने ‘इंडिया@75 बीआरओ मोटरसाइकिल अभियान’ को देश की सेवा में अपने प्राणों की आहुति देने वाले सैनिकों को एक सच्ची श्रद्धांजलि के रूप में वर्णित किया। यह अभियान ‘आजादी का अमृत महोत्सव’ का हिस्सा है, जिसे देशभर में आजादी के 75 साल पूरे होने के उपलक्ष्य में मनाया जा रहा है। भारतीय सेना और जनरल रिजर्व इंजीनियर फोर्स के जवानों सहित बीआरओ के 75 मोटरसाइकिल सवार अगले 75 दिनों में लगभग 20,000 किलोमीटर की दूरी तय करेंगे। ये जवान स्थानीय लोगों, स्कूली बच्चों, वीरता पुरस्कार विजेताओं, पूर्व-सैनिकों और वीर नारियों के साथ बातचीत करेंगे; चिकित्सा शिविर आयोजित करेंगे और स्वच्छ भारत अभियान तथा सड़क सुरक्षा के बारे में जागरूकता बढ़ाएंगे।
रक्षामंत्री ने आशा व्यक्त करते हुए कहा कि यह अभियान लोगों विशेषकर युवाओं में राष्ट्रीय एकता और राष्ट्र निर्माण का संदेश देगा। उन्होंने जोर देकर कहा कि साहसिक गतिविधियों के अलावा, ऐसी गतिविधियों में रक्षा और सुरक्षा का एक महत्वपूर्ण पहलू है। “हम इस तरह के अभियानों के माध्यम से सीमा सुरक्षा और इसकी चुनौतियों के बारे में अतिरिक्त जानकारी एकत्र कर सकते हैं। हमारी सेना ने इस तरह की गतिविधियों को काफी प्रोत्साहन दिया है और इससे उन्हें सुरक्षा से जुड़ी जानकारियां जुटाने में मदद मिली है।
दूसरी ओर, सात चरणों वाला ‘इंडिया@75 मोटरसाइकिल अभियान’ अगले 75 दिनों तक पूरे देश में चलेगा। यह इंडिया गेट से, रोहतांग, खारदुंग ला और उमलिंग ला को पार करते हुए अत्यधिक ऊंचाई वाले उत्तरी क्षेत्रों में आगे बढ़ेगा। दूसरे चरण में टीम श्रीनगर से सिलीगुड़ी की यात्रा करेगी। तीसरे और चौथे चरण में, सिलीगुड़ी से डूम डूमा तक गंगटोक होते हुए, अभियान कोलकाता पहुंचने से पहले उत्तर-पूर्वी राज्यों से होते हुए आगे बढ़ेगा। पांचवें और छठे चरण में यह अभियान देश के पूर्वी, दक्षिणी और पश्चिमी तटीय क्षेत्रों से होकर गुजरेगा। अंतिम चरण में, रेगिस्तान से गुजरते हुए, टीम 27 दिसंबर, 2021 को नई दिल्ली पहुंचेगी। अभियान हीरो मोटोकॉर्प और भारत पेट्रोलियम लिमिटेड द्वारा सह-प्रायोजित है। वे साहसिक अभियान के अनुकूल मोटरसाइकिल, सुरक्षात्मक गियर, जैकेट, पुर्जे और तकनीकी तथा रसद सहायता प्रदान कर रहे हैं।
इस अवसर पर रक्षा प्रमुख जनरल बिपिन रावत, रक्षा सचिव डॉ. अजय कुमार, सीमा सड़क संगठन के महानिदेशक लेफ्टिनेंट जनरल राजीव चौधरी और रक्षा मंत्रालय के अन्य वरिष्ठ असैन्य और सैन्य अधिकारी उपस्थित थे।