सुहागनों का महापर्व:आयुर्वेद के मुताबिक बीमारियों से भी बचाता है ये व्रत

हिमशिखर स्वास्थ्य डेस्क

Uttarakhand

सुहागनों का पर्व करवा चौथ व्रत द्वापर युग से चला आ रहा है। आयुर्वेद के मुताबिक इस व्रत से महिलाओं की भी सेहत अच्छी रहती है।  शरद ऋतु के दौरान शरीर में पित्त बढ़ता है। इस दिन महिलाएं दिनभर बिना पानी पिए रहती हैं और रात में मिट्टी के बर्तन से पानी पीकर व्रत खोलती है। ऐसा करने से मेटाबॉलिज्म बढ़ता है।

नक्षत्र और ग्रहों की विशेष स्थिति

कार्तिक महीने के कृष्णपक्ष की चतुर्थी पर ग्रह-नक्षत्र विशेष स्थिति में रहेंगे। इस दिन की शुरुआत उभयचरी, शंख, शुभकर्तरी, विमल और शश महापुरुष योग में होगी। साथ ही इस दिन सूर्योदय और चंद्रोदय के वक्त तुला और वृष लग्न रहेंगे। ये दोनों शुक्र की ही राशियां हैं। ये सौभाग्य, समृद्धि और लंबी उम्र देने वाला शुभ संयोग है। इस दिन रविवार और भरणी नक्षत्र से प्रजापति नाम का एक और शुभ योग दिनभर रहेगा। सितारों की ये स्थिति इस पर्व को और खास बना रही है।

महाभारत काल से है परंपरा

करवा चौथ की शुरुआत सावित्री की पतिव्रता धर्म से मानी जाती है। सावित्री ने अपने पति की मृत्यु हो जाने पर भी यमराज को उन्हें अपने साथ नहीं ले जाने दिया और अपनी दृढ़ प्रतिज्ञा से पति को फिर से पा लिया। दूसरी कहानी पांडवों से जुड़ी है।

वनवास काल में अर्जुन तपस्या करने नीलगिरि के पर्वत पर गए थे। द्रौपदी ने अुर्जन की रक्षा के लिए भगवान कृष्ण से मदद मांगी। उन्होंने द्रौपदी को वैसा ही उपवास रखने को कहा जैसा माता पार्वती ने भगवान शिव के लिए रखा था। द्रौपदी ने ऐसा ही किया और कुछ ही समय के पश्चात अर्जुन वापस सुरक्षित लौट आए।

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