पौष मास :गुड़-तिल और गर्म कपड़ों के दान की परंपरा, सूर्य के साथ लक्ष्मी और कुबेर पूजा का भी महत्व

हिमशिखर धर्म डेस्क

Uttarakhand

हिंदू कैलेंडर का दसवां महीना पौष चल रहा है। इस दौरान प्रकृति में बहुत से सकारात्मक बदलाव आते हैं। इसलिए पौष महीना जीवन शक्ति और आध्यात्म स्तर बढ़ाने का सही समय होता है। वैसे तो पौष महीने के दौरान खरमास भी रहता है। इसलिए इस दौरान शुभ काम नहीं होते, लेकिन भगवान की उपासना जरूर की जाती है। खासतौर से सूर्य उपासना के लिए से सबसे अच्छा महीना माना गया है।

इस महीने सूर्य के साथ देवी लक्ष्मी और कुबेर की उपासना भी विशेष फलदायी मानी जाती है। पौष मास में अगर सूर्य की नियमित उपासना करे तो व्यक्ति पूरे साल स्वस्थ और संपन्न रहता है। मान्यता है कि इस महीने सूर्य 11 हजार रश्मियों के साथ व्यक्ति को ऊर्जा और उत्तम सेहत प्रदान करता है।

ऐसे करें सूर्य की उपासना

रोज सुबह स्नान करने के बाद सूर्य को तांबे के पात्र से जल में रोली और फूल डालकर अर्पित करें।

सूर्य मंत्र ‘ॐ आदित्याय नमः’ का जाप करें नमक का सेवन कम से कम करें। ऐसा करने से स्वास्थ्य लाभ मिलेगा।

रोज सूर्योदय से पहले उठें और सूर्य पूजा करें।

किन चीजों का दान करें…

पौष महीने में हेमंत ऋतु होने से है ठंड बहुत रहती है। इस मौसम और ऋतु को ध्यान में रखकर ही विद्वानों ने खास चीजों के दान की परंपरा बनाई है। ग्रंथों में बताया गया है कि पौष महीने में तिल, गेहूं, गुड़, गर्म कपड़े, तांबे के बर्तन, जूते-चप्पल, कंबल और लाल चीजों का दान करना चाहिए। इन चीजों के दान से कई यज्ञ करने जितना फल मिलता है। पौष महीने में किए दान से उम्र बढ़ती है और जाने-अनजाने में हुए पाप खत्म हो जाते हैं।

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