विश्व की 34 फीसदी भूमि रेगिस्तान में तब्दील, 320 करोड़ लोग प्रभावित

  • मरुस्थलीकरण को रोकने के लिए जन सह भागिता जरूरी
  • भूमि प्रबंधन में स्थानीय आवाश्यकताओ के साथ ही महिलाओं को शामिल करना जरूरी
  • एफआरआई में विश्व मरुस्थलीकरण एवं सूखा रोकथाम दिवस पर हुई कार्यशाला

प्रदीप बहुगुणा, देहरादून
जनसंख्या वृद्धि के बढ़ते दबाव और गलत भूमि उपयोग से विश्व की 34 फीसदी भूमि रेगिस्तान में तब्दील हो गई है और इससे 320 करोड़ लोग प्रभावित हुए हैं।

Uttarakhand

एफआरआई में विश्व मरुस्थलीकरण एवं सूखा रोकथाम दिवस पर हुई कार्यशाला में यह तथ्य खुलकर सामने आया। कहा गया कि इस समस्या से निपटने के लिए जन सह भागिता जरूरीहै। साथ ही भूमि प्रबंधन में स्थानीय आवाश्यकताओ के साथ ही महिलाओं को भी शामिल करना होगा।

कार्यशाला का आयोजन भारतीय वानिकी अनुसंधान एवम शिक्षा परिषद के सतत् भूमि प्रबंधन उत्कृष्टता केंद्र की ओर से किया गया था।

कार्यशाला के मुख्य अतिथि सीपी गोयल, वन महानिदेशक और विशेष सचिव पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय, भारत सरकार थे । गोयल ने मरुस्थलीकरण और सूखे की समस्या से निपटने के लिए सामुदायिक भागीदारी को जरूरी बताया। परिषद के महानिदेशक अरुण सिंह रावत ने समस्या के समाधान के लिए वैज्ञानिक एवं सामुदायिक भागेदारी को जरूरी बताया ।

इस अवसर पर जमुना टुडू (पद्म श्री) झारखण्ड, बसंती देवी(पद्म श्री) उत्तराखण्ड, और सुधा एस (आईएफएस) को महानिदेशक द्वारा सम्मानित किया गया। पद्मश्री पुरस्कार से सम्मनित अतिथियों ने झारखंड के वन संरक्षण और उत्तराखंड में कोसी नदी के पुनरुद्धार में अपने अनुभव साझा किए। सुधा एस (आईएफएस) ने लैंडस्केप बहाली के लिए भूमि उपयोग योजना और पारिस्थितिक तंत्र सेवाओं के मूल्यांकन पर व्याखयान दिया। डॉ. आरएस रावत ने मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ में सतत् भूमि प्रबंधन प्रथाओं को बढ़ाने के लिए महिलाओं की भागीदारी पर अपने अनुभव साझा किये। यूपी के आईएफएस डॉ. विवेक सक्सेना ने अरावली पर्वत और पारिस्थितिकी तंत्र पर चर्चा की। आईयूसीएन की डॉ. अर्चना चटर्जी ने वन परिदृश्य बहाली में महिलाओं की भूमिका और योगदान पर अपना विचार व्यक्त किये। यूएनसीसीडी के प्रतिनिधि डॉ. ईश्वर नारायणन, ने हर लैंडः ग्लोबल इनसाइट्स एवं श्रुति शर्मा, पूर्व मूख्य वन संरक्षक राजस्थान सरकार ने पारिस्थितिकी बहाली और सूखा प्रतिरोध पर विचार व्यक्त किये।

बताया गया कि संयुक्त राष्ट्र महासभा ने दिसंबर 1994 में 17 जून को विश्व मरुस्थलीकरण एवं सूखा रोकथाम दिवस’ घोषित किया था। प्रत्येक महाद्वीप और प्रत्येक महासागर में पारिस्थितिक तंत्र के क्षरण की रोकथाम के लिए संयुक्त राष्ट्र ने 2021-2030 के दशक को पारिस्थितिकी तंत्र बहाली दशक घोषित किया है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *