छत्तीसगढ़ के बजट के लिए गोबर का ब्रीफकेस बनाने वाली स्व-सहायता समूह की महिलाओं को सम्मानित किया गया है। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने मंगलवार को इन महिलाओं को विधानसभा बुलाकर मुलाकात की। इस दौरान उन्होंने महिलाओं को सम्मानित कर मिठाई का डब्बा भेंट किया।
विधानसभा पहुंची नीलम अग्रवाल, नोमिन पाल, मनीषा पटवा, कांति यादव और लता पुणे ने मुख्यमंत्री के कार्यालय कक्ष में मुलाकात की। इस दौरान मुख्यमंत्री ने उनके काम की सराहना की। उनके कामकाज के बारे में बात की और होली से पूर्व मिठाई भेंट किया। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा, आपके द्वारा बनाए गए ब्रीफकेस की चर्चा पूरे देश भर में हो रही है। आपका यह कार्य मौलिक तो है ही साथ ही हमारे गोधन का भी सम्मान है। मुख्यमंत्री से सम्मान पाकर गोठानों में काम करने वाली ये महिलाएं भावुक हो उठीं। उनका कहना था, उन्होंने कभी सोचा भी नहीं था कि खुद मुख्यमंत्री उनके काम का सम्मान करेंगे। । नोमिन पाल ने मुख्यमंत्री को बताया कि हम लोग गोबर से पेंट बनाने की तैयारी कर रहे हैं। साथ ही गोबर से ईंट बनाकर छत्तीसगढ़ महतारी का मंदिर बनाने की भी योजना है। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने स्व-सहायता समूह के काम पूरा सहयोग करने का भरोसा दिया। पिछले 9 मार्च को मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने इस समूह के बनाए गोबर के ब्रीफकेस में रखकर राज्य सरकार का वार्षिक बजट पेश किया था। देश में यह पहला प्रयोग था जिसकी काफी चर्चा हो रही है।
गौठान ने दिया कठिन वक्त में सहारा
समूह की नोमिन पाल ने बताया कि पति के निधन के बाद घर चलाने मुश्किल हो गया था 6 महीने बहुत दिक्कत हुई। अब गौठान के जरिये गोबर से निर्मित कई सामान बना रहे हैं। इससे महीने में लगभग 15 हजार रुपए कमा लेते हैं। होली से पहले ही गोबर से निर्मित150 किलो से ज्यादा गुलाल बेच चुके हैं। दिल्ली से भी गुलाल का आर्डर मिला, लेकिन समय की कमी के चलते हमने मना कर दिया। गोबर की लकड़ी, दीये, मूर्ति और चप्पल भी बड़ी संख्या में बना रहे हैं।
ऐसे बना था बजट का ब्रीफकेस
बजट के लिए गोबर का ब्रीफकेस रायपुर के गोकुलधाम गोठान में बना था। “एक पहल’ महिला स्व-सहायता समूह की नोमिन पाल ने इसे तैयार किया था। इसको बनाने के लिए गोबर, चूना पाउडर, मैदा, लकड़ी और ग्वार के गोंद का मिक्चर तैयार किया गया। इसको परत-दर-परत बिछाकर 10 दिनों में ब्रीफकेस बनाया गया। ब्रीफकेस का हैंडल और कॉर्नर का काम कोण्डागांव के एक स्व-सहायता समूह में तैयार हुआ। यह समूह इसी तकनीक से गोबर के खड़ाऊं (एक तरह की चप्पल) भी बना रहा है।