बाबा के चित्र के सामने की हुयी प्रार्थना का उत्तर बाबा दिया

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बाबा अक्सर एक भक्त, जो गरीब था, उसे बुलाकर लम्बी तीर्थयात्रा में साथ ले जाते थे। वह भक्त बिना किसी शिकायत के राजी हो जाता जबकि उसे कभी-कभी अपनी यात्रा के लिए पैसे उधार लेने पड़ते थे।

एक बार महाराजजी ने उसे बद्रीनाथ साथ चलने के लिए कहा | यात्रा में जाने से पहले उस व्यक्ति ने पूजा की मेज पर रखी बाबा की तस्वीर की ओर इशारा करते हुए अपनी पत्नी से कहा कि अगर किसी कारणवश वो संपर्क करना चाहे तो बाबा की तस्वीर के सामने कह दे | सन्देश उस तक पहुँच जायेगा क्योंकि वह बाबा के साथ रहेगा।

कुछ दिनों बाद, हिमालय की ऊंचाइयों में, महाराजजी अचानक उस भक्त की ओर मुड़े और बोले: “तुम यहां क्यों आये हो?”

उस भक्त ने उत्तर दिया: “महाराजजी मैं तो आपकी आज्ञा से यहां आया हूँ”

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महाराजजी बोले: “तुम्हारे घर में दाल, आटा कुछ नहीं है | तुम्हारी पत्नी बहुत चिंतित है क्योंकि खाने के लिए कुछ नहीं है और तुम इतनी दूर यहां हो | तुम्हें कम-से-कम उनके लिए रोटी का प्रबंध करके आना था |”

परन्तु महाराजजी के सान्निध्य में भक्तों पर मादक प्रभाव रहता था | उनकी चिंताएं लुप्त हो जाती थीं और उन्हें महसूस होता था कि उनकी भलाई के लिए बाबा सब संभाल रहे हैं।

अपनी पत्नी के भोजन का प्रबंध न करके आने के लिए उस भक्त को फटकारने के आधा घंटे बाद बाबा अचानक बोले: “भोजन आ गया है। उनको भोजन मिल गया है | कश्मीरी माँ ने उनको दे दिया है। चिंता मत करो।|”

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जब वह भक्त यात्रा से वापस लौटा तो अपनी पत्नी से पूछा | उसकी पत्नी ने बताया कि जब घर में खाद्य सामग्री समाप्त हो गयी थी तो उसने महाराजजी की तस्वीर के सामने प्रार्थना की | थोड़े समय बाद उनके अमीर पडोसी, जिन्होंने उससे अपनी पुत्री के जैसा व्यवहार किया, आटा, चावल, दाल इत्यादि की बोरियों के साथ उनके घर आये | उसने फिर जाकर महाराजजी की तस्वीर के सामने धन्यवाद् दिया।

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