आज का पंचांग: निंदक नहीं, प्रसंशक बनें

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पंडित उदय शंकर भट्ट

Uttarakhand

आज आपका दिन मंगलमयी हो, यही मंगलकामना है। ‘हिमशिखर खबर’ हर रोज की तरह आज भी आपके लिए पंचांग प्रस्तुत कर रहा है।

आज का पंचांग

बृहस्पतिवार, नवम्बर 14, 2024
सूर्योदय: 06:43 ए एम
सूर्यास्त: 05:28 पी एम
तिथि: त्रयोदशी – 09:43 ए एम तक
क्षय तिथि: चतुर्दशी – 06:19 ए एम, नवम्बर 15 तक
नक्षत्र: अश्विनी – 12:33 ए एम, नवम्बर 15 तक
योग: सिद्धि – 11:30 ए एम तक
करण: तैतिल – 09:43 ए एम तक
द्वितीय करण: गर – 08:01 पी एम तक
क्षय करण: वणिज – 06:19 ए एम, नवम्बर 15 तक
पक्ष: शुक्ल पक्ष
वार: गुरुवार
अमान्त महीना: कार्तिक
पूर्णिमान्त महीना: कार्तिक
चन्द्र राशि: मेष
सूर्य राशि: तुला

आज का भगवद् चिन्तन

 निंदक नहीं, प्रसंशक बनें

जीवन में केवल दूसरों के निंदक मत बनो अपितु कभी किसी के द्वारा कुछ अच्छा कार्य किया जा रहा हो तो खुले हृदय से उसकी प्रसंशा भी अवश्य करो। जब भी और जहाँ भी दूसरों की प्रशंसा करने का अवसर प्राप्त हो उससे कभी मत चूको। दूसरों की प्रशंसा से हमें उनका प्रेम और सम्मान सहज में ही प्राप्त हो जाता है। जब तक हमारे मन में दूसरों की प्रशंसा का भाव जागृत नहीं होता तब तक हमारी चेतना भी कुण्ठित बनी रहती है।

केवल इतना महत्वपूर्ण नहीं है कि दूसरे आपकी प्रशंसा करें अपितु यह ज्यादा महत्वपूर्ण है कि आपके मुख से भी दूसरों की प्रशंसा के बोल निकलें। स्वयं की ज्यादा प्रशंसा सुनने से अहम पैदा होता है और यही अहम हमारे जीवन के कल्याण मार्ग में अवरोधक का कार्य करता है व जीवन के प्रगति पथ को बाधित कर देता है। केवल दूसरों की प्रशंसा प्राप्ति के लिए भी अच्छे कार्य मत करो क्योंकि जो अच्छे कार्य करते हैं वे स्वतः ही दूसरों की प्रशंसा के पात्र बन जाते हैं।

अयोध्या की अमराई में श्रीराम और भरत के बीच सवाल और जवाब हो रहे थे। भरत जिज्ञासा प्रकट कर रहे थे और राम समाधान दे रहे थे। भरत ने श्रीराम से कहा कि वेद और पुराण में संतों की बड़ी महिमा गाई गई है। आप भी उनकी बहुत बढ़ाई करते हैं।

‘सुना चहउं प्रभु तिन्ह कर लच्छन। कृपासिंधु गुन ग्यान बिचच्छन।’ ‘मैं उनके लक्षण सुनना चाहता हूं। आप कृपा के समुद्र हैं और गुण तथा ज्ञान में अत्यंत निपुण हैं।’ वैसे तो साधु और संत व्यक्तित्व हैं। लेकिन गहरे में जाएं तो ये एक जीवनशैली है। इसके लिए ना तो घर छोड़ना है ना ही कोई भगवा कपड़े पहनना हैं।

आप अपने परिवार के, व्यापार के सारे काम करते हुए भी संत हो सकते हैं। और संत के लक्षण राम इसलिए बता सकते हैं कि भरत ने राम जी के लिए तीन बातें बोलीं। कृपा के समुद्र, गुण और ज्ञान में निपुण। आप उदार हैं, ज्ञान तो आपमें है ही, पर सद्गुण भी उतरे।

शिक्षा के साथ संस्कार, और इसके साथ व्यक्ति यदि दूसरों के लिए हितकारी दृष्टि रखे, तो वो संत है। इसलिए हमें प्रयास करना चाहिए कि हम जो भी बन रहे हैं, वो तो बनें ही। लेकिन अपने भीतर जो एक संत जन्म से ही भगवान ने दिया है, उसको भी उजागर करें।

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