12वां राष्ट्रीय पंचगव्य महासम्मेलन 22 से वृंदावन में, पंचगव्य विद्यापीठम् गुरुकुलपति डॉ निरंजन वर्मा ने दी जानकारी

हिमशिखर ख़बर डेस्क

Uttarakhand

तमिलनाडु: पंचगव्य विद्यापीठम् कांचीपुरम (तमिलनाडु) का 12वां राष्ट्रीय पंचगव्य महासम्मेलन वृंदावन में होने जा रहा है। इस तीन दिवसीय महासम्मेलन में देशभर से विषय विशेषज्ञ अपने अनुभवों को साझा कर गौ आधारित अर्थव्यवस्था विकसित करने पर चर्चा करेंगे।

पंचगव्य विद्यापीठम् कांचीपुरम (तमिलनाडु) के संस्थापक और गुरुकुलपति डॉ निरंजन वर्मा ने वृंदावन में होने वाले महासम्मेलन की पत्रकार वार्ता में जानकारी देते हुए बताया कि पंचगव्य विद्यापीठम् और पंचगव्य डॉक्टर एसोसिएशन के संयुक्त तत्वाधान में वृंदावन के फोगला आश्रम में 22 से 24 नवंबर तक 12वां राष्ट्रीय पंचगव्य महासम्मेलन आयोजन करवाया जा रहा है। कहा कि प्रतिवर्ष राष्ट्रीय महासम्मेलन का आयोजन अलग-अलग प्रदेश के उन क्षेत्रों में किया जाता है, जहां की भूमि ने भारतवर्ष की पौराणिकता को संजोकर रखा है। इससे पूर्व कांचीपुरम (तमिलनाडु), सांगली महाराष्ट्र, पुष्कर (राजस्थान), द्वारिका (गुजरात), कुरुक्षेत्र (हरियाणा), कालड़ी (केरल), श्री जगन्नाथपुरी (ओडिसा), भाग्यनगर (तेलंगाना), कर्नाटक के ( बेंगलुरु) में हुआ था और इस वर्ष यह आयोजन वृंदावन में होना तय हुआ है। कहा कि इस महासम्मेलन का सबसे बड़ा उद्देश्य पंचगव्य के वैज्ञानिक महत्व को सामने लाना और गोमाता से नीरोगी भारत बनाना है।

गुरुकुलपति निरंजन वर्मा ने बताया कि सम्मेलन में मुख्य रूप से गाय के विज्ञान पर काम कर रहे लोग प्रतिभाग करते हैं। इसमें हर साल 1000-1500 गव्यसिद्ध डाक्टर प्रतिभाग करते हैं। इस साल वृंदावन में करीब 1200 गव्यसिद्ध के आने की उम्मीद की जा रही है। उन्होने आगे बताया कि तीन दिवसीय आवासीय महासम्मेलन में प्रतिभागियों को पूरी तरह से देशी गाय का दूध, घी और जैविक भोजन परोसा जाता है।

महासम्मेलन के एक दिन के कार्यक्रम को चार सत्रों में बांटा गया है। पहले सत्र ब्रहम मुहूर्त में रोजाना 5 से 7 बजे तक गाय पर किये गए शोध पर लेक्चर होगा, इसके मुख्य वक्ता वे स्वयं रहेंगे। पहले दिन के व्याख्यान का विषय ‘विविध संस्कृति एवं परंपराओं में हैं मूल आयुर्वेद’ रहेगा। दूसरे दिन सुबह का व्याख्यान पंचगव्य पांरपरिक चिकित्सा, जो मूल आयुर्वेद को उदित करेगा’ रहेगा। तीसरे दिन का व्याख्यान “भारत सरकार के प्रत्येक मंत्रालय ओर आवश्कयता-गऊ ” है। यानी हर मंत्रालय में गाय कैसे उपयोगी साबित हो सकती है, इस पर वैज्ञानिकता के साथ बात रखी जाएगी। दूसरा सेशन सुबह 9 बजे से 11 बजे तक आयोजित किया जाएगा। इसमें साइंटिफिक रिसर्च पेपर प्रेजेंट किया जाएगा। तीसरा सेशन दोपहर 1 बजे से 5 बजे तक रहेगा। इसमें कार्यक्रम में शिरकत करने पहुंचे अतिथियों की ओर से लेक्चर दिया जाएगा। इस सेशन में पंचगव्य विद्यापीठम से उत्तीर्ण गव्य सिद्धों को डिग्री भी दी जाएगी। साथ ही 6 तरह के अवार्ड भी प्रदान किए जाएंगे। हर अवार्ड पांच विभिन्न लोगों को दिए जाएंगे। इसमें पहला अ. ब. राजीव भाई दीक्षित श्रेष्ठ पंचगव्य गो सेवा सम्मान, दूसरा अ. ब. राजीव भाई दीक्षित तकनीकी सेवा सम्मान, तीसरा श्रेष्ठ चिकित्सालय सम्मान, चौथा चिकित्सा सेवा सम्मान, पाँचवा श्रेष्ठ पंचगव्य उत्पादक्ता सम्मान और छठवा श्रेष्ठ पंचगव्य प्रचारक सम्मान दिया जाएगा। सेशन के अंतिम सत्र में रात्रि को 7 से 9 बजे तक सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे। इसमें पहले दिन संगीत कला, दूसरे दिन नृत्य कला और तीसरे दिन युद्ध कला पर प्रस्तुति दी जाएगी। खास बात यह है कि इसमें पिछले कई सदियों की प्राचीन संस्कृति के आधार पर कार्यकम किए जाते हैं। जैसे उत्तर प्रदेश में 500 साल पहले कौन सी संगीत कला और, उसका लाईवे प्रेजेंटेशन दिया जाएगा। उसी प्रकार मुगलकाल से पूर्व की नृत्य कला ओर युद्ध कला के इतिहास को ध्यान पर रखते ही कार्यक्रम किए जाते हैं। उन्होंने बताया कि वर्ष 2013 से पंचगव्य गुरुकुलम असाध्य रोगों पर कार्य कर रहा है। अभी तक 1 लाख से अधिक असाध्य रोगियों पर कार्य करते हुए गुरुकुलम ने कैंसर जैसे कई गंभीर रोगों पर भी काबू पाया है। कहा कि गव्यों से धनोपार्जन कर गोमाताओं की स्थिति को सुधारा जा सकता है।

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