पंडित उदय शंकर भट्ट
आज आपका दिन मंगलमयी हो, यही मंगलकामना है। ‘हिमशिखर खबर’ हर रोज की तरह आज भी आपके लिए पंचांग प्रस्तुत कर रहा है।
नारदजी के अनुसार भगवान के प्रति उत्कृष्ट प्रेम ही भक्ति है। भक्ति शब्द भज धातु से बना है। इसका अर्थ सेवा करना है। भज भजन अर्थात् आराधना के अर्थ में भी है। जब भक्त सेवा या आराधना के द्वारा भगवान से साक्षात संबंध स्थापित कर लेता है तो इसे ही गीता में भक्तियोग कहा गया है। भगवान के प्रति अनन्य प्रेम होने पर भक्त भगवान के रंग में ही रंग जाते हैं। वह प्रेम में इतना मदमस्त हो जाता है कि उसे भगवान के अतिरिक्त कुछ नही बताया बताया की की मुझे मुझे ही नहीं पड़ता है।
भगवान के प्रति उसका अनुराग इतना तीव्रतम होता है कि उसे यत्र-तत्र-सर्वत्र भगवान ही नजर आते हैं।भक्ति से भक्त अपने आपको परमात्मा में विलीन कर लेता है,केवल मात्र परमात्मा के सिवा उसे कुछ भी दिखाई नहीं देता है।
स्वयं भगवान कहते हैं- मैं न तो योगियों के हृदय में वास करता हूं और न ही स्वर्ग में रहता हूं अपितु मैं वहीं रहता हूं जहां मेरे भक्त मेरा गुणगान करते हैं।
आज का विचार
रिश्तों और पैसों की कद्र एक समान करें, क्योंकि दोनों कमाना मुश्किल है। पर गंवाना आसान
आज का भगवद् चिन्त
कर्मों की खेती
कर्मों की खेती में जाने-अनजाने जो बीज आपके द्वारा पड़ जाते हैं देर-सबेर उनका अंकुरण निश्चित होना है। प्रकृति के अपने सिद्धांत हैं वो अपने नियमों पर सदैव अटल रहती है। यदि आप पौधों को पानी देते हैं तो वह स्वत: हरा भरा रहेगा और यदि आपने उसकी उपेक्षा की तो उसे मुरझाने में भी वक्त नहीं लगने वाला है। निश्चित ही स्वर्ग और नरक दोनों यहीं हैं। जिन लोगों ने अच्छे कर्म किए उनके लिए ये दुनिया स्वर्ग बन गई तो जिन लोगों ने बुरे कर्म किए उनको यहीं नरक का आभास होने लगा।
इस दुनिया में केवल चाहने मात्र से कुछ भी प्राप्त नहीं हो जाता है। यहाँ जो भी और जितना भी आपको प्राप्त होता है, वह निश्चित ही आपके परिश्रम और आपके सद्कर्मों का पुरस्कार होता है। कर्म के जो बीज इस प्रकृति में बोए जाएंगे समय आने पर उसकी फसल भी अवश्य काटनी ही पड़ेगी। फूलों की खेती करने वाले को ये प्रकृति खुशबू एवं सौंदर्य स्वतः प्रदान कर देती है।
आज का पंचांग
शनिवार, दिसम्बर 14, 2024
सूर्योदय: 07:06
सूर्यास्त: 17:26
तिथि: चतुर्दशी – 16:58 तक
नक्षत्र: रोहिणी – 03:54, दिसम्बर 15 तक
योग: सिद्ध – 08:27 तक
क्षय योग: साध्य – 05:07, दिसम्बर 15 तक
करण: वणिज – 16:58 तक
द्वितीय करण: विष्टि – 03:42, दिसम्बर 15 तक
पक्ष: शुक्ल पक्ष
वार: शनिवार
अमान्त महीना: मार्गशीर्ष
पूर्णिमान्त महीना: मार्गशीर्ष
चन्द्र राशि: वृषभ
सूर्य राशि: वृश्चिक