सुप्रभातम्: महाभारत के 5 मैनेजमेंट 5 टिप्स, जो बदल सकते हैं लाइफ

महाभारत के किस्सों से समझें लाइफ मैनेजमेंट की 5 टिप्स, जिन्हें फॉलो करने से आपकी प्रॉब्लम्स दूर हो सकती हैं और मुश्किल काम में भी सफलता मिलने की संभावनाएं बढ़ जाएंगी…

Uttarakhand

1.एकता बनाए रखें, साथियों पर भरोसा करें

• काम मुश्किल हो, बड़ा हो तो उसे टीम बनाकर करेंगे तो सफलता जरूर मिलेगी। महाभारत में पांडवों और कौरवों के युद्ध से एकता का महत्व सीख सकते हैं।

• कौरवों की सेना बहुत बड़ी थी, लेकिन उनमें एकता और आपसी विश्वास की कमी थी, जबकि दूसरी और पांडवों की सेना छोटी थी, लेकिन वे सभी एकजुट थे और एक- दूसरे पर पूरा भरोसा करते थे।

• नतीजा ये हुआ कि छोटी सेना होने के बाद भी पांडव जीत गए।

2.अपनी जिम्मेदारी ईमानदारी से निभाएं

• सफल होने के लिए सबसे जरूरी बातों में से एक है अपनी जिम्मेदारी ठीक से निभाना। कौरव सेना में भीष्म, द्रोणाचार्य जैसे योद्धा अपनी जिम्मेदारी ठीक से नहीं निभा पा रहे थे।

भीष्म धर्म-अधर्म के संशय में उलझे थे, कुटुम्ब, पांडवों से मोह और अपने वचन में फंसे हुए थे, इस वजह से वे पूरे मन से युद्ध नहीं कर पाए।

• द्रोणाचार्य भी अपने पुत्र अश्वत्थामा के मोह में फंसे हुए थे, इस वजह से वे भी कौरवों की जीत नहीं दिला पाए। सफल होना चाहते हैं तो हमें हर हाल में अपनी जिम्मेदारी ठीक से निभानी चाहिए।

3.लक्ष्य बनाएं और उसी पर पूरा ध्यान लगाएं

• महाभारत के अर्जुन की चर्चित कहानी है। जब द्रोणाचार्य कौरव और पांडव राजकुमारों को धनुर्विद्या सीखा रहे थे।

• एक दिन उन्होंने एक पेड़ पर एक पक्षी का खिलौना रखा और सभी से उसकी आंख पर निशाना लगाने के लिए कहा। उस समय सिर्फ अर्जुन ने अपना पूरा ध्यान पक्षी की आंख पर लगाया, बाकी सभी का ध्यान पक्षी के साथ-साथ आसपास की चीजों पर भी जा रहा था।

• भविष्य में अर्जुन की इसी आदत ने उसे श्रेष्ठ धनुर्धर बना दिया। जब हम अपने लक्ष्य पर ध्यान लगाते हैं तो उसे पूरा जरूर करते हैं।

4. समय का ही सही उपयोग जरूर करें

• समय का सही प्रबंधन आपको सफल बना सकता है। महाभारत में जब पांडवों का वनवास चल रहा था, उस समय ये तय हो गया था कि वनवास के बाद कौरवों से युद्ध हो सकता है।

• ऐसे में अर्जुन ने वनवास के दिनों में समय का सही इस्तेमाल करते हुए भगवान शिव से दिव्यास्त्र पाने के लिए तप किया और भगवान शिव की कृपा भी प्राप्त की।

• महाभारत युद्ध में इन्हीं दिव्यास्त्रों की मदद से पांडवों की जीत हुई। हमें भी अपने समय की सही इस्तेमाल करना चाहिए, तभी हमें सफलता मिल सकती है।

5. विकल्पों का चयन सतर्कता से करें

• महाभारत युद्ध शुरू होने वाला था, पांडव और कौरव दोनों ही श्रीकृष्ण को अपने पक्ष में करना चाहते थे। इसी इच्छा को पूरी करने के लिए अर्जुन और दुर्योधन श्रीकृष्ण के पास पहुंचे। उस समय श्रीकृष्ण ने कहा था कि एक ओर मेरी पूरी अजय नारायणी सेना है और दूसरी ओर मैं अकेला रहूंगा और मैं युद्ध में शस्त्र भी नहीं उठाउंगा। ये बात सुनकर दुर्योधन ने नारायणी सेना चुन ली और श्रीकृष्ण अर्जुन के पक्ष में चले गए।

• जब ये बात कर्ण, भीष्ण, द्रोणाचार्य, शकुनि आदि योद्धाओं को मालूम हुई तो सभी दुर्योधन के चयन पर दुखी हुए थे। यहीं से कौरव पक्ष के अधिकतर योद्धाओं को लगने लगा था कि जहां श्रीकृष्ण हैं, वही जीत होगी। बाद में नतीजा भी यही हुआ, श्रीकृष्ण की नीतियों की वजह से पांडव युद्ध जीत गए।

• सफल होना चाहते हैं तो किसी भी विकल्प का चयन बहुत सोच-समझकर करना चाहिए, गलती होने पर सफलता हम से दूर हो जाती है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *