आज का पंचांग: संकल्प एवं पुरुषार्थ

पंडित उदय शंकर भट्ट

Uttarakhand

आज आपका दिन मंगलमयी हो, यही मंगलकामना है। ‘हिमशिखर खबर’ हर रोज की तरह आज भी आपके लिए पंचांग प्रस्तुत कर रहा है।

आज का विचार

व्यक्ति को अपने जीवन में परछाई और आईने के जैसे दोस्त बनाने चाहिए। क्योंकि परछाई कभी साथ नहीं छोड़ती और आईना कभी झूठ नहीं बोलता

पूजा-पाठ की शुरुआत में सबसे पहले संकल्प लेने की परंपरा है। संकल्प लेते समय हथेली में जल, चावल और फूल रखे जाते हैं और फिर भगवान का ध्यान करते हुए पूजा करने का संकल्प लिया जाता है। भक्त जिस मनोकामना की पूर्ति के लिए पूजा कर रहा है, उस मनोकामना का भी ध्यान संकल्प के साथ करना चाहिए।

संकल्प के माध्यम से भक्त मन, वचन और कर्म से भगवान के प्रति आस्था प्रकट करता है। भक्त भगवान से अपनी मनोकामना कहता है और उसे पूरी करने के लिए प्रार्थना करता है। संकल्प का शाब्दिक अर्थ है कोई काम करने का निश्चय करना। जब हम पूजा में संकल्प लेते हैं तो इसका भाव ये होता है कि हम भगवान की पूजा करने का निश्चय कर रहे हैं और यह तय कर रहे हैं कि किसी भी स्थिति में पूजा अधूरी नहीं छोड़ेंगे।

संकल्प से जुड़ी मान्यताएं

• संकल्प प्रथम पूज्य भगवान गणेश के सामने लेना चाहिए। संकल्प में अपना नाम, नगर, गांव, गोत्र, तिथि, वार भी बोला जाता है।

• इस परंपरा को निभाने से पूजा बिना किसी बाधा के पूरी हो जाती है, ऐसी मान्यता है।

• संकल्प के बाद ही गणपति पूजन होता है और फिर हम जो पूजा करना चाहते हैं, वह शुरू होती है।

• संकल्प के बिना के किए गए पूजा-पाठ अधूरे माने जाते हैं। संकल्प लेने के साथ विधिवत पूजा शुरू होती है। ये पूजा का पहला चरण है।

• संकल्प लेने के बाद हमारा मन पूजा में लग जाता है। पूजा करते समय एकाग्रता बनी रहती है। भक्त अनुशासन में रहकर पूजा करता है।

आज का भगवद् चिंतन

संकल्प एवं पुरुषार्थ

हमारे शब्द ही प्रभावी नहीं होने चाहिए अपितु हमारे कर्म भी प्रभावी होने चाहिए। बिना पुरुषार्थ के हमारे महान से महान संकल्प भी केवल रेत के विशाल महल का निर्माण करने जैसे हो जाते हैं। हमारे पास संकल्प रूपी मजबूत आधारशिला तो होनी ही चाहिए लेकिन पुरुषार्थ रूपी मजबूत पिलर भी होने चाहिए, जिस पर सफलता रुपी गगनचुम्बी महल का निर्माण संभव हो सके। वाणी के बजाय कार्य से दिए गए उदाहरण कई ज्यादा प्रभावी होते हैं।

कोरा उपदेश भी तब तक कोई काम नहीं आता है, जब तक उसे चरितार्थ न किया जाए। प्रत्येक सफल आदमियों में एक बात की समानता मिलती है, कि उन्होंने केवल वाणी से नहीं अपितु अपने कार्यों से भी उदाहरण प्रस्तुत किये हैं। महत्वपूर्ण ये नहीं कि आप अच्छा कह रहे हैं अपितु ये है कि आप अच्छा कर रहे हैं। इसलिए केवल अच्छा कहना नहीं अपितु अच्छा करना भी हमारी प्राथमिकता होनी चाहिए।

आज का पंचांग

बुधवार, जनवरी 22, 2025
सूर्योदय: 07:14
सूर्यास्त: 17:52
तिथि: अष्टमी – 15:18 तक
नक्षत्र: स्वाती – 02:34, जनवरी 23 तक
योग: शूल – 04:38, जनवरी 23 तक
करण: कौलव – 15:18 तक
द्वितीय करण: तैतिल – 04:31, जनवरी 23 तक
पक्ष: कृष्ण पक्ष
वार: बुधवार
अमान्त महीना: पौष
पूर्णिमान्त महीना: माघ
चन्द्र राशि: तुला
सूर्य राशि: मकर
प्रविष्टे/गते: 9

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