आज का पंचांग: परिवर्तन को स्वीकार करें

पंडित उदय शंकर भट्ट

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आज आपका दिन मंगलमयी हो, यही मंगलकामना है। ‘हिमशिखर खबर’ हर रोज की तरह आज भी आपके लिए पंचांग प्रस्तुत कर रहा है।

आज से हिन्दी पंचांग का 12वां महीना फाल्गुन शुरू हो गया है, ये महीना 13 मार्च को होलिका दहन के साथ खत्म होगा। इस महीने में वसंत ऋतु रहेगी। फाल्गुन भगवान शिव और श्रीकृष्ण के भक्तों के लिए बहुत खास है। इस महीने में महाशिवरात्रि (26 फरवरी) मनाई जाएगी। मथुरा, वृंदावन, बरसाना में श्रीकृष्ण के मंदिरों में होली खेलने लाखों कृष्ण भक्त पहुंचते हैं।

भगवान शिव, विष्णु और कृष्ण भक्ति का महीना है फाल्गुन

फाल्गुन मास में महाशिवरात्रि मनाई जाती है, ये शिव जी से जुड़ा सबसे बड़ा पर्व है। शिव जी के साथ ही इस महीने में भगवान विष्णु के लिए भी विशेष पूजा-पाठ किए जाते हैं। माना जाता है कि द्वापर युग में भगवान विष्णु के आठवें अवतार श्रीकृष्ण ने गोपियों संग फूलों की होली खेली थी, इसी वजह से मथुरा, वृंदावन, बरसाना क्षेत्र में फाल्गुन महीने में कई दिनों तक भक्त होली खेलते हैं।

फाल्गुन कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को महाशिवरात्रि मनाते हैं। ये रात्रि का पर्व है। शिवपुराण में लिखा है कि जो भक्त महाशिवरात्रि पर शिव जी का अभिषेक करता है, उसकी परेशानियां दूर होती हैं और शिव कृपा से उसे सुख-समृद्धि प्राप्त होती है।

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आज का विचार

कुछ लोग सुबह से शाम तक परेशानियों का रोना ही रोते रहते हैं साथ ही ईश्वर को भी कोसते रहते हैं। जितना समय वो रोने में लगाते हैं उतना समय यदि बिचार करके कर्म करने में लगा दें तो समस्या ही हल हो जायेगी.!!

आज का भगवद् चिन्तन

परिवर्तन को स्वीकार करें

जो बीज अपने अस्तित्व को नहीं मिटाना चाहता अथवा धरती के गर्भ में प्रवेश नहीं करना चाहता, उस बीज की वृक्ष बनने की सम्भावनाएँ भी नष्ट हो जाती हैं। जीवन में सदैव एक जैसी स्थिति-परिस्थिति नहीं रहती है। जीवन का एक सीधा सा नियम है कि जो मनुष्य परिवर्तन को स्वीकार नहीं करता वो अपने जीवन आनंद की संभावनाओं को भी कम कर देता है। यहाँ परिस्थितियाँ एक जैसी कभी भी नहीं रहती हैं। सर्दी के बाद गर्मी, रात के बाद दिन और पतझड़ के बाद बसन्त आने ही वाला है।

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परिवर्तन संसार का नियम है, संसार के इस नियम की स्वीकारोक्ति हमारे जीवन में अवश्य होनी ही चाहिए। जो लोग इस नियम को स्वीकार नहीं करते या जिनकी मनःस्थिति इस नियम की समर्थक नहीं है, निश्चित ही उनके जीवन में सुख शांति की फसल भी नहीं उग पाती है। आप जितना समय की विपरीत धारा में बहोगे, उतना परिश्रम और द्वंद आपके जीवन में होना होता रहेगा।

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