स्वामी रामतीर्थ परिसर में ए.आई. स्वास्थ्य के लिए डेटा माइनिंग और हिमालयी प्राकृतिक संसाधनों पर इंटरएक्टिव कॉन्क्लेव

चम्बा : स्वामी रामतीर्थ परिसर बादशाहीथौल के प्राणी विज्ञान विभाग ने स्वामी राम हिमालयन विश्वविद्यालय देहरादून के सहयोग से “स्वास्थ्य और हिमालयी प्राकृतिक संसाधनों के लिए एआई और डेटा माइनिंग” पर एक दिवसीय इंटरैक्टिव सम्मेलन का सफलतापूर्वक आयोजन किया। इस कार्यक्रम में स्वास्थ्य सेवा, पर्यावरण संरक्षण और जैव विविधता प्रबंधन में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई), बिग डेटा और मशीन लर्निंग (एमएल) की भूमिका पर चर्चा करने के लिए प्रतिष्ठित वैज्ञानिक, शिक्षाविद और शोधकर्ता एक साथ आए।

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सम्मेलन में प्रो. आशा चंदोला-सकलानी (स्वामी राम हिमालयन विश्वविद्यालय, देहरादून), डॉ. डोंग लिंग टोंग (यूटीएआर मलेशिया), डॉ. एलन जे स्टीवर्ट (स्कूल ऑफ मेडिसिन, सेंट एंड्रयूज विश्वविद्यालय, यूके), एस.आर.टी. परिसर, एच. एन. बी. गढ़वाल विश्वविद्यालय के प्रो. एन.के. अग्रवाल, प्रो. आर.सी. रमोला और डॉ. एल.आर. डंगवाल ने भी सम्मेलन में इंटरैक्टिव व्याख्यान दिए। प्रो. डीके शर्मा ने जीवन विज्ञान में ए.आई. और मशीन लर्निंग के उद्देश्य और महत्व को समझाया। परिसर निदेशक प्रो. ए ए बौराई ने वक्ताओं का परिचय कराया और आयोजन की सफलता का आशीर्वाद दिया।

प्रो. एम.एम.एस. नेगी, उप अधिष्ठाता छात्र कल्याण ने शोधकर्ताओं और पी.जी. छात्रों के लिए आयोजन के महत्व पर जोर दिया। संकाय सदस्य, शोध विद्वानों, पी.जी. और यू.जी. छात्रों सहित कुल 162 प्रतिभागियों ने कार्यक्रम में सक्रिय रूप से भाग लिया। पी.जी. छात्रा रितिका रावत ने सम्मेलन का संचालन किया और सिखा चतुर्वेदी ने धन्यवाद ज्ञापन किया। प्राणी विज्ञान विभाग के शोधकर्ताओं और पीजी छात्रों ने कार्यक्रम के आयोजन में सक्रिय रूप से भाग लिया। डॉ. रविंद्र सिंह और डॉ. आशीष डोगरा ने कार्यक्रम को सफल बनाने के लिए छात्रों का सूक्ष्म स्तर पर मार्गदर्शन किया।

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प्राणि विज्ञान विभाग के विभागाध्यक्ष और स्कूल ऑफ लाइफ साइंस के संकायाध्यक्ष प्रोफेसर एन के अग्रवाल ने कहा कि इस सम्मेलन ने युवा शोधकर्ताओं और छात्रों को अग्रणी विशेषज्ञों के साथ बातचीत करने और एआई-संचालित शोध पद्धतियों पर बहुमूल्य ज्ञान प्राप्त करने के लिए एक उत्कृष्ट मंच प्रदान किया है। कार्यक्रम के दौरान हुई चर्चाओं ने आधुनिक वैज्ञानिक अध्ययनों में अंतःविषय दृष्टिकोण की आवश्यकता पर प्रकाश डालते हुए सहयोगी अनुसंधान के लिए नए रास्ते खोले हैं।

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