आज का पंचांग: कोई हमारा नुकसान चाहे तो प्रताप दिखाना पड़ेगा

पंडित उदय शंकर भट्ट

आज आपका दिन मंगलमयी हो, यही मंगलकामना है। ‘हिमशिखर खबर’ हर रोज की तरह आज भी आपके लिए पंचांग प्रस्तुत कर रहा है।

कोई नुकसान चाहे तो प्रताप दिखाना पड़ेगा

पराक्रम सर्व-स्वीकार्य हो जाए तो प्रताप में बदल जाता है। प्रताप शत्रु को भयभीत और अपने लोगों को आश्वस्त करता है। शिव जी से पार्वती जी ने कहा था- तुम्हरी कृपा कृपायतन अब कृतकृत्य न मोह। जानेऊँ राम प्रताप प्रभु चिदानंद संदोह।। आपकी कृपा से मैं कृतकृत्य हो गई, अब मुझे मोह नहीं रह गया और मैं श्रीराम के प्रताप को जान गई।

रामकथा सुनने के बाद पार्वती जी ने श्रीराम पर जो टिप्पणी की, वो उनके प्रतापी स्वरूप को लेकर की। दरअसल, श्रीराम जो भी काम करते थे, निजहित और परहित के संतुलन के साथ करते थे। उन्होंने अंगद को भी दूत के रूप में भेजा तो कहा था- काजु हमार तासु हित होई।

अंगद इस तरह से रावण से बात करना कि हमारा भी काम हो जाए, उसका भी भला हो जाए। हम राम को मानने वाले भारतवासी हैं। हम भी यही चाहते हैं कि सबका भला हो। लेकिन हमारा नुकसान करके कोई अपना भला चाहे तो फिर हमें प्रताप दिखाना पड़ेगा। और राम जैसा प्रताप जब भी दिखाया जाएगा, संसार कहेगा- यह सही है, ऐसा ही होना था।

  1. विक्रम संवत – 2082, कालयुक्त
  2. शक सम्वत – 1947, विश्वावसु
  3. पूर्णिमांत – ज्येष्ठ
  4. अमांत – बैशाख

तिथि

  1. कृष्ण पक्ष प्रतिपदा   – May 12 10:25 PM – May 14 12:36 AM
  2. कृष्ण पक्ष द्वितीया   – May 14 12:36 AM – May 15 02:29 AM

नक्षत्र

  1. विशाखा – May 12 06:17 AM – May 13 09:09 AM
  2. अनुराधा – May 13 09:09 AM – May 14 11:47 AM

करण

  1. बलव – May 12 10:25 PM – May 13 11:32 AM
  2. कौलव – May 13 11:33 AM – May 14 12:36 AM
  3. तैतिल – May 14 12:36 AM – May 14 01:35 PM

योग

  1. वरीयान – May 12 05:00 AM – May 13 05:52 AM
  2. परिघ – May 13 05:52 AM – May 14 06:33 AM

वार

  1. मंगलवार

त्यौहार और व्रत

  1. नारद जयंती

सूर्य और चंद्रमा का समय

  1. सूर्योदय – 5:50 AM
  2. सूर्यास्त – 6:55 PM
  3. चन्द्रोदय – May 13 7:46 PM
  4. चन्द्रास्त – May 14 6:31 AM

अशुभ काल

  1. राहू – 3:39 PM – 5:17 PM
  2. यम गण्ड – 9:06 AM – 10:45 AM
  3. कुलिक – 12:23 PM – 2:01 PM
  4. दुर्मुहूर्त – 08:27 AM – 09:19 AM, 11:17 PM – 12:01 AM
  5. वर्ज्यम् – 01:35 PM – 03:21 PM

शुभ काल

  1. अभिजीत मुहूर्त – 11:57 AM – 12:49 PM
  2. अमृत काल – 12:13 AM – 01:59 AM
  3. ब्रह्म मुहूर्त – 04:14 AM – 05:02 AM

आनन्दादि योग

  1. श्रीवत्स Upto – 09:09 AM
  2. वज्र

सूर्या राशि

  1. सूर्य मेष राशि पर है

चंद्र राशि

  1. चन्द्रमा वृश्चिक राशि पर संचार करेगा (पूरा दिन-रात)

चन्द्र मास

  1. अमांत – बैशाख
  2. पूर्णिमांत – ज्येष्ठ
  3. शक संवत (राष्ट्रीय कलैण्डर) – बैशाख 23, 1947
  4. वैदिक ऋतु – वसंत
  5. द्रिक ऋतु – ग्रीष्म

Auspicious Yogas

  1. अमृतसिद्धि योग – May 14 05:50 AM – May 14 11:47 AM (Anuradha and Wednesday)
  2. सर्वार्थसिद्धि योग – May 14 05:50 AM – May 14 11:47 AM (Anuradha and Wednesday)

केवट प्रेम

जब केवट प्रभु के चरण धो चुका तो भगवान कहते हैं- भाई ! अब तो गंगा पार करा दे। इस पर केवट कहता है- प्रभु ! नियम तो आपको पता ही है कि जो पहले आता है उसे पहले पार उतारा जाता है। इसलिए प्रभु अभी थोड़ा और रुकिये भगवान् कहते हैं भाई यहाँ तो मेरे सिवा और कोई दिखायी नहीं देता। इस घाट पर तो केवल मैं ही हूँ। फिर पहले किसे पार लगाना है ?” केवट बोला- प्रभु ! अभी मेरे पूर्वज बैठे हुए हैं, जिनको पार लगाना है।

केवट झट गंगा जी में उतरकर प्रभु के चरणामृत से अपने पूर्वजों का तर्पण करता है। धन्य है केवट जिसने अपना, अपने परिवार और सारे कुल का उद्धार करवाया। फिर भगवान् को नाव में बैठाता है, दूसरे किनारे तक ले जाने से पहले फिर घुमाकर वापस ले आता है।
जब बार-बार केवट ऐसा करता है तो प्रभु पूछते हैं- भाई ! बार-बार चक्कर क्यों लगवा रहे हो ? मुझे चक्कर आने लगे हैं। केवट कहता है- प्रभु ! यही तो मैं भी कह रहा हूँ। ८४ लाख योनियों के चक्कर लगाते-लगाते मेरी बुद्धि भी चक्कर खाने लगी है, अब और चक्कर मत लगवाईये।

गंगा पार पहुँचकर केवट प्रभु को दंडवत प्रणाम करता है। उसे दंडवत करते देख भगवान् को संकोच हुआ कि मैंने इसे कुछ दिया नहीं।

केवट उतरि दंडवत कीन्हा,
प्रभुहि सकुच एहि नहि कछु दीन्हा।
कितना विचित्र दृश्य है, जहाँ देने वाले को संकोच हो रहा है और लेने वाला केवट उसकी भी विचित्र दशा है कहता है ।
नाथ आजु मैं काह न पावा।
मिटे दोष दुःख दारिद्र दावा।।
बहुत काल मैं कीन्ही मजूरी
आजु दीन्ह बिधि बनि भलि भूरी।।

लेने वाला कहे बिना लिए ही कह रहा है कि “हे नाथ ! आज मैंने क्या नहीं पाया मेरे दोष दुःख और दरिद्रता सब मिट गये। आज विधाता ने बहुत अच्छी मजदूरी दे दी। आपकी कृपा से अब मुझे कुछ नहीं चाहिये। भगवान् उसको सोने की अंगूठी देने लगते हैं तो केवट कहता है प्रभु उतराई कैसे ले सकता हूँ। हम दोनों एक ही बिरादरी के हैं और बिरादरी वाले से मजदूरी नहीं लिया करते।

दरजी,दरजी से न ले सिलाई,
धोबी,धोबी से न ले धुलाई।
नाई,नाई से न ले बाल कटाई,
फिर केवट, केवट से कैसे ले उतराई।।

आप भी केवट, मैं भी केवट, अंतर इतना है कि हम नदी में इस पार से उस पार लगाते हैं, आप संसार सागर से पार लगाते हैं, हमने आपको पार लगा दिया,अब जब मेरी बारी आये तो आप मुझे पार लगा देना। प्रभु आज तो सबसे बड़ा धनी मैं ही हूँ। क्योंकि वास्तव में धनी वो होता है, जिसके पास आपका नाम है,आपकी कृपा है।

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