लापता अपनों का शव नहीं मिला तो पुतले जलाकर किया अंतिम संस्कार

देहरादून: चमोली में आई आपदा को 9 दिन बीत जाने के बाद भी सैकड़ों लोग अबतक लापता हैं। कई परिवार अभी भी अपनों के लौटने की उम्मीद लगाए बैठे हैं। जबकि कई लोगों ने आस छोड़ दी है। कालसी विकासखंड के अंतर्गत आने वाले पंजिया गांव के दो सगे भाइयों समेत चार लापता युवकों का सुराग न लगने पर स्वजनों ने उन्हें मृत मानकर पुतला बनाया और हरिपुर कालसी में यमुना किनारे अंतिम संस्कार किया. स्वजनों की पीड़ा देख हर किसी की आंखें भर आईं।

Uttarakhand

चमोली जिले के तपोवन और रैणी गांव में आई तबाही में जौनसार बावर के कुल 9 युवक लापता हुए थे। 7 फरवरी से रेस्क्यू ऑपरेशन चलने के बाद भी लापता युवको में से सिर्फ ददोली निवासी अनिल पुत्र भगतू का ही शव बरामद हुआ। बाकी 8 युवकों का कोई सुराग न मिलने पर स्वजनों की उम्मीद टूट गई।

पंजियां गांव के ग्रामीण आपदा के बाद से ही उदास बैठे हैं। ग्रामीण अपनी दिनचर्या, खेती-बाड़ी के काम तक नहीं कर पा रहे हैं। लापता युवकों की तलाश में परिजन तपोवन भी पहुंचे लेकिन उन्हें निराश ही लौटना पड़ा। पंजिया गांव के लापता दो सगे भाई संदीप और जीवन सहित हर्ष और कल्याण का कुछ सुराग न लगने पर स्वजनों ने रविवार को उन्हें मृत मानते हुए उनके पुतले बनाए और उनका यमुना किनारे अंतिम संस्कार कर दिया।

गौर हो कि पंजिया गांव निवासी जवाहर सिंह के दो बेटे संदीप और जीवन तीन महीने पहले ही मजदूरी करने जोशीमठ गए थे, लेकिन आपदा से बाद से ही उनसे कोई संपर्क नहीं हो पा रहा था। उधर, पूरण सिंह का बेटा हर्ष भी तपोवन में मजदूरी करने गया था, लेकिन उनका भी बेटे से कोई संपर्क नहीं हो पा रहा था।

वहीं, कल सिंह और पानो देवी का बेटा कल्याण भी आपदा के बाद से ही लापता था. कल्याण का ढाई महीने का बेटा भी है। हालांकि, जैसे-जैसे समय बढ़ता जा रहा था अनहोनी की आशंका में परिजनों की उम्मीद भी जवाब देती जा रही थी।  रविवार को चमोली जिले में ऋषिगंगा नदी में आई बाढ़ के कारण रैणी गांव और तपोवन में आपदा आई थी।

इस आपदा में ऋषिगंगा पावर प्रोजेक्ट और तपोवन में एनटीपीसी का निर्माणाधीन पावर प्रोजेक्ट पूरी तरह से तहस-नहस हो गया था। इस हादसे में 204 लोग लापता बताये गए थे, जिसमें 54 लोगों के शव बरामद हो चुके हैं।

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