देहरादून: चमोली के घाट में घाटकृ नंदप्रयाग मार्ग के चैड़ीकरण को लेकर विधानसभा का घेराव करने जा रहे आंदोलनकारियों पर लाठीचार्ज किए जाने पर आज सरकार को हर तरफ से निंदा झेलनी पड़ रही है।
सड़क चैड़ीकरण की मांग करने वाले निर्दोष ग्रामीणों लाठीचार्ज करना और पानी की बौछार छोड़ कर आखिर सरकार और पुलिस क्या सिद्ध करना चाहती है। क्या अब अपने क्षेत्र के विकास के लिए आवाज उठाना भी ग्रामीणों के लिए गुनाह बन गया है। उस पर मजिस्ट्रेटी जांच की बात कह कर मुख्यमंत्री ने अपना बचाव कर लिया है।
घाटकृनंदप्रयाग मार्ग चैड़ीकरण को लेकर घाट क्षेत्र में ग्रामीणों द्वारा बीते 88 दिनों से आंदोलन किया जा रहा है। विदित हो कि चमोली जिले में नंद प्रयाग घाट सड़क के चैड़ीकरण को लेकर मुख्यमंत्री भी पहले घोषणा कर चुके थे।
लेकिन मुख्यमंत्री की घोषणा के बाद भी जब विभगीय अधिकारियों ने इस क्षेत्र की सुध नहीं ली तो ग्रामीणों का सब्र जवाब दे गया और उन्होंने घाट क्षेत्र में दिसंबर माह से धरना शुरू किया। जनवरी माह में ग्रामीणों ने अपने आंदोलन को बल देने के लिए करीब 25 किलोमीटर लंबी मानव श्रृंखला भी बनाई थी।
जिसके बाद मामला संज्ञान में आने पर मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने सचिव लोक निर्माण विभाग को आवश्यक निर्देश दिए थे। उन्होंने कहा कि नन्दप्रयागकृघाट मोटर मार्ग के चैड़ीकरण के लिए आवश्यक परीक्षण करते हुए शीघ्र कार्यवाही की जाए।
ताकी क्षेत्र की हजारों की आबादी वाले ग्राम सभाओं के लोगों की समस्याओं का समाधान हो सके। जबकि इसी मामले को लेकर पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत भी ग्रामीणों के साथ एक दिन के धरने पर बैठ चुके हैं।
इसके बावजूद जब सड़क चैड़ीकरण के लिए कोई कार्यवाही शुरू नहीं हुई तो सोमवार को ग्रामीणों ने गैरसैंण विधानसभा के घेराव का निर्णय लिया और सैंकड़ों की संख्या में ग्रामीण इस आंदोलन में शामिल हुए। इसमें बड़ी संख्या में महिलाएं छात्रकृछात्राएं वह बच्चे भी शामिल हुए।
सोमवार को इन आंदोलनकारियों ने विधानसभा का रूख किया तो पुलिस ने बैरिकेडिंग करके रास्ता रोका हुआ था। रास्ता रोकने के बाद पुलिस और आंदोलनकारियों के बीच तीखी झड़प हुई।
इस दौरान पुलिस ने जंगलचटृी बैरियर पर रोक दिया। पुलिस के बैरियर को पार कर आंदोलनकारी पैदल दिवालीखाल को निकल पड़े। आंदोलनकारियों ने जंगलचटृी बैरियर को तोड़ दिया। तिरंगा यात्रा निकाल विधानसभा की ओर कूच किया।
पुलिस ने उनपर पानी की भी बौछारें की। इसी दौरान पुलिस ने आंदोलनकारी ग्रामीणों पर लाठियां बरसा दीे। जिसमें कई लोग घायल हो गये। इस भीड़ में पुलिस ने महिलाओं और बच्चों को भी नहीं बख्शा और जो भी सामने आया उस पर लाठी बरसा दी।
अपने क्षेत्र की मांग को लेकर आंदोलन करने वाले ग्रामीणों को यह समझ नहीं आ रहा है कि आखिर उनकी मांग में गलत क्या है। क्यों पुलिस ने उन पर पानी की बौछार छोड़ी और महिलाओं और बच्चों तक पर लाठी बरसाई।