देहरादून: मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत ने आज लॉकडाउन के दौरान लोगों पर दर्ज किए गये मुकदमों को वापस लेने का फैसला पहली कैबिनेट में ही ले लिया था।
रविवार को एक बार फिर इस बात को दोहराते हुए सीएम ने इन मुकदमों को वापस लेने की प्रक्रिया शुरू करने के आदेश दिए हैं।
सीएम तीरथ सिंह रावत का कहना था कि कोरोना काल में जरूरतमंदों को खाना बांटने वालों तक पर मुकदमे दर्ज किए गये। ये लोग तो ये लोग दूसरों की मदद कर रहे थे।
उनकी मदद करने और प्रोत्साहित करने की बजाय उन पर ही मुकदमे दर्ज कर दिए गये। इससे दूसरों की मदद करने वाले लोगों को काफी कष्ट उठाना पड़ा।
उत्त्तराखण्ड के सीएम तीरथ रावत ने कहा कि ऐसे सभी 4500 मुकदमे वापस लेने के आदेश कर दिए गए हैं।
उन्होंने कहा कि मैंने सख्ती से कहा है कि ये मुकदमे वापस होने चाहिए, कई मुकदमे वापस हो गए हैं और बाकी मुकदमे आज और कल तक वापस हो जाएंगे।
उल्लेखनीय है कि लॉकडाउन में उत्त्तराखण्ड में महामारी व आपदा एक्ट के उल्लंघन को लेकर पुलिस प्रशासन ने लोगों पर ताबड़तोड़ मुकदमे दर्ज किये थे जिससे दूसरों की मदद करने वालों ने भी हाथ खींच लिए थे और आम लोगों में दहशत का माहौल बन गया था। प्रवासी, श्रमिक व जनता मुकदमे झेल रही थी।
जबकि उसी समय उत्तर प्रदेश के विधायक अमनमणि व उनके लाव लश्कर को बद्रीनाथ तक यात्रा का वीवीआईपी पास दे दिया गया था।
जबकि उस समय कपाट बंद थे। विधायक अमनमणि का काफिला रुद्रप्रयाग तक पहुंच गया था। स्थानीय पुलिस ने नियमों के उल्लंघन में अमनमणि को बैरंग वापस भेज दिया था।
वीवीआईपी को पास जारी करने व स्थानीय लोगों को परेशान करने के मुद्दे पर त्रिवेंद्र सरकार की काफी आलोचना हुई थी।
इसके अलावा धरना प्रदर्शन कर रहे कई विपक्षी दलों के नेताओं व कार्यकर्ताओं पर भी मुकदमे दर्ज किये गए थे। इधर, सीएम की कुर्सी संभालने के बाद तीरथ सिंह रावत ने लॉकडाउन के मुकदमे वापस लेकर आम जनमानस को कानूनी दांवपेंच की उलझन से भी मुक्त किया।