Uttarakhand

नव संवत्सर 2078 का आरंभ आज मंगलवार 13 अप्रैल 2021 से हो गया है।  हम कामना करते हैं कि देवी के नौ रूपों के समान नूतन संवत्सर भी दिव्य हो। हिंदू नववर्ष आपके जीवन में सफलता, सौभाग्य और खुशियां लेकर आए, यह साल बीते हुए साल से भी ज्यादा समृद्ध हो। आइए! हम सब हर्षोल्लास के साथ विक्रम संवत 2078 का स्वागत करें। मां भगवती महामाया हम सभी का कल्याण करे।

विनोद चमोली

हमारी भारतीय संस्कृति का पावन पुनीत पर्व हिंदू नववर्ष आज 13 अप्रैल मंगलवार को चैत्र नवरात्रि की शुरूआत के साथ प्रारंभ हो गया है।  चूंकि दुनिया के बड़े हिस्से पर कभी यूरोपीय देशों का कब्जा रहा, इसलिए इसाई कैलेंडर को मान लिया गया। हम धीरे-धीरे अपनी संस्कृति और जड़ों के कटते चले जा रहे हैं और खुद को पश्चिमी बनाने और दिखलाने में गर्व का अनुभव करते हैं। जो दुनिया भर के ‘डे’ मनाये जा रहे हैं, वे सब पाश्चात्य संस्कृति का प्रचार नहीं तो और क्या हैं?

भारत देश त्योहारों का देश है। सनातन धर्म में हर त्योहार जीवन में खुशियां लेकर आता है। खास बात यह है कि हर त्योहार को मनाने के पीछे कुछ न कुछ वैज्ञानिक तथ्य भी छिपे हुए हैं। अंग्रेजी कैलेंडर के हिसाब से 1 जनवरी को नए साल पर प्रकृति में कुछ भी खास बदलाव देखने को नहीं मिलते। जबकि चैत्र माह में चारों तरफ फूल खिल जाते हैं और पेड़ों पर नए पत्ते आ जाते हैं। ऐसा लगता है कि मानो प्रकृति भी नया साल मना रही हो। 31 मार्च को बैंकों की क्लोजिंग होती है और नया वित्तीय वर्ष शुरू होता है। अंग्रेजी नववर्ष की रात को लोग शराब पीकर जश्न मनाते हैं। शराब पीकर वाहन चलाने से वाहन दुर्घटना की संभावना और भारतीय सांस्कृतिक मूल्यों का विनाश होता है। वहीं हिंदू नववर्ष की शुरूआत माता दुर्गा की पूजा-आराधना के साथ शुरू होता है। घर-घर में माता रानी की पूजा, गरीबों को जीवनपयोगी सामग्री बांटी जाती है। हवन-यज्ञ और पूजा-पाठ से शुद्ध सात्विक वातावरण बन जाता है।

हम भारतीयों का यह प्रथम कर्तव्य है कि पश्चिमी अंधानुकरण के भ्रमजाल से निकलकर अपनी जड़ों की ओर लौटें और महान सभ्यता के नववर्ष को बढ़-चढ़कर मनाएं, जिससे भारतवर्ष का गौरव पुनः विश्वपटल पर स्थापित हो सके। जिसमें सभी प्रकार की उन्नति का सार छिपा हुआ है। तो इस साल हम उम्मीद करते हैं कि शायद बहुत कुछ बदलेगा।

हिंदू कैलेंडर के इस पहले दिन को बहुत शुभ माना जाता है। इसी पंचांग के आधार पर  तमाम त्योहार मनाए जाते हैं। हमने संविधान में अपना राष्ट्रीय कैलेंडर शालिवाहन शक को अंगीकृत किया है, लेकिन सरकारी कैलेंडर के अलावा हम उसे नहीं जानते. या शादी-व्याह या पूजा-पाठ के लिए ही हमें अपने स्वदेशी कैलेंडर की याद आती है. यह ठीक वैसा ही है, जैसे देश की राजभाषा तो हिन्दी है लेकिन कामकाज होता है अंग्रेज़ी में. सवाल सिर्फ एक नए साल के दिन का नहीं है. सवाल यह है कि इसके साथ ही आप के ऊपर एक अलग संस्कृति थोपी जाती है.  इसलिए नए वर्ष पर हम हैप्पी न्यू इयर जरूर कहें लेकिन अपने नव वर्ष को भी भूलें नहीं. अपने बच्चों को भी अपनी जड़ों से परिचित करवाएं. साथ ही यह भी सोचें कि यह कब तक चलता रहेगा?

हिन्दू नववर्ष का धार्मिक महत्व
पुराणों के अनुसार ब्रह्मा जी ने पृथ्वी की रचना चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा के दिन की थी। इसी के चलते पंचांग के अनुसार, हर चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि को नववर्ष शुरू हो जाता है।

 

 

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