रामकथा: जीवन साथी की इच्छा का सम्मान करना चाहिए, सुख हो या दुख, हर हाल में साथ रहें

Uttarakhand
  • वनवास जाते समय श्रीराम नहीं चाहते थे कि सीता भी उनके साथ आए, लेकिन सीता नहीं मानीं, तब श्रीराम ने देवी की इच्छा का सम्मान किया

हिम शिखर ब्यूरो

रामायण में कैकयी की वजह से राजा दशरथ ने श्रीराम को 14 वर्ष के लिए वनवास जाने का आदेश दे दिया था। श्रीराम वनवास जा रहे थे, तब देवी सीता ने भी साथ चलने की इच्छा जाहिर की थी।

श्रीराम जानते थे कि सीता सुकोमल राजकुमारी हैं। उन्होंने कभी भी वन का जीवन नहीं देखा है। वन में रहना किसी राजकुमारी के लिए संभव नहीं है। श्रीराम ने सीता को ये बातें समझाईं और कहा कि वन में जंगली जानवर भी होते हैंए उनकी वजह से हमारे प्राण संकट में पड़ सकते हैं। इसीलिए आपको यहीं महल में रहना चाहिए और तीनों माताओं की सेवा करनी चाहिए।

श्रीराम के समझाने के बाद भी देवी सीता नहीं मानीं और पति की सेवा को ही अपना धर्म बताती रहीं। तब श्रीराम ने सीता की इच्छा का सम्मान किया और उन्हें भी वन में साथ लेकर चलने के लिए तैयार हो गए। देवी सीता ने भी हर कदम श्रीराम का साथ दिया। सुख हो या दुख, हर परिस्थिति में देवी सीता ने श्रीराम के साथ रहीं।

उस समय सभी राजा कई शादियां करते थे, राजाओं की कई रानियां होती थीं, लेकिन श्रीराम ने सीता को विवाह के बाद वचन दिया था कि वे किसी और स्त्री से कभी भी विवाह नहीं करेंगे। पूरे जीवन सिर्फ सीता ही उनकी पत्नी रहेंगी। श्रीराम ने ये वचन निभाया भी।

सीख –  श्रीराम और सीता से पति-पत्नी को यही सीख लेनी चाहिए कि जीवन साथी की इच्छाओं का भी सम्मान करना चाहिए। सुख-दुख, कैसा भी समय हो, हर पल एक-दूसरे की मदद करनी चाहिए। तभी वैवाहिक जीवन में सुख-शांति बनी रहती है।

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