कथा: अधूरा ज्ञान हमेशा नुकसानदायक होता है, किसी भी काम की शुरुआत अधूरे ज्ञान के साथ न करें

Uttarakhand
  • एक राजा जंगल में रास्ता में भटक गया तो वनवासी ने की मदद, राजा ने वनवासी को उपहार में दिया चंदन का बाग

हिम शिखर ब्यूरो।

पुराने समय में एक राजा बहुत साहसी और कुशल शासक था। वह समय.समय पर मनोरंजन के लिए जंगल में शिकार के लिए अकेला ही जाता था। एक दिन वह ऐसे ही शिकार पर गया तो जंगल में रास्ता भटक गया। वह वापस अपने राज्य लौटने का रास्ता भूल गया।

सुबह से शाम हो गई, लेकिन वह रास्ता खोज नहीं सका। भूख-प्यास की वजह से हालत खराब होने लगी थी।

सूर्यास्त के बाद राजा को एक कुटिया दिखाई दी। राजा वहां गया तो देखा कि कुटिया में एक वनवासी था। राजा ने उससे भोजन और पानी मांगा। वनवासी ने राजा का उचित सत्कार किया।

इस अतिथि सत्कार से राजा बहुत प्रसन्न हुआ और वनवासी से कहा कि हम इस राज्य के राजा हैं और तुम्हारे आतिथ्य से खुश हैं, इसीलिए हम तुम्हें चंदन का बाग भेंट में देते हैं। वनवासी ने राजा को महल पहुंचने का रास्ता बता दिया। अगले दिन वनवासी भी राजमहल पहुंचा और राजा ने अपने मंत्री से वनवासी को चंदन का बाग देने की बात कही। राजा के आदेश पर वनवासी को चंदन का बाग मिल गया। वह चंदन के संबंध में अज्ञानी था। उसे चंदन के गुण और उसके महत्व की जानकारी नहीं थी।

वनवासी रोज चंदन की लकड़ी जलाकर उससे कोयला बनाता और कोयला बाजार में बेचकर आ जाता था। धीरे-धीरे बाग के सभी चंदन के पेड़ खत्म हो गए। वनवासी ने अंतिम पेड़ भी काट दिया। वह लकड़ी जलाकर कोयला बनाता उससे पहले बारिश होने लगी। तब उसने सोचा कि आज लकड़ी ही बेच आता हूं।

जब वनवासी चंदन की लकड़ी लेकर बाजार में गया तो चंदन की महक बाजार में फैल गई। वनवासी की सभी लकड़ियां बहुत ज्यादा दाम में बिक गईं। ये देखकर वनवासी हैरान हो गया, उसने सोचा मैंने तो इस बहुमूल्य लकड़ी को जला-जलाकर कोयला बनाकर बेचा, जबकि इससे तो बहुत ज्यादा धन प्राप्त किया जा सकता था। वनवासी को समझ आ गया कि अज्ञानता की वजह से उसने खुद का कितना बड़ा नुकसान कर लिया है।

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