इस समय देश-भर में कोरोना वायरस का संकट तेजी से पांव पसार रहा है। ऐसे में आज के समय में कोरोना वायरस जैसी महामारी से निपटने के लिए चाणक्य नीति की शिक्षाएं प्रासंगिक हो जाती हैं। चाणक्य नीति कहती है जिस राष्ट्र के लोग महामारी के समय गंभीर नहीं होते हैं, उन्हें गंभीर कष्ट झेलनेे पड़ते हैं। आचार्य चाणक्य ने बड़ी विपति आने पर लोगों को क्या-क्या करना चाहिए, इस पर भी बड़ी अच्छी बातें बताई हैं, आइए जानते हैं, इन बातों को-
हिमशिखर ब्यूरो
आचार्य चाणक्य ने अपनी चाणक्य नीति में बड़े संकट से उभरने के बारे में बताया है। चाणक्य की मानें तो महामारी जैसी समस्या से तभी निपटा जा सकता है, जब व्यक्ति सतर्क रहेगा और संयम से काम लेगा। चाणक्य की मानें तो जो विपति के समय लापरवाह हो जाते हैं और अपना धैर्य खो देते हैं तो संकट कम होने की बजाए बढ़ जाता है।
हर नागरिक को निभानी होगी अपनी जिम्मेदारी
आचार्य चाणक्य के अनुसार महामारी, आक्रमण और बड़े संकट आने पर नागरिकों को अपनी जिम्मेदारियों को कतई नहीं भूलना चाहिए। बड़ी लड़ाई तभी जीती जाती है जब राष्ट्र का हर एक नागरिक इसमें अपनी आहूति देता है। ध्यान रहे डूबती नाव के लिए तिनके का भी सहारा बहुत होता है। ऐसे में महामारी से तभी निपटा जा सकता है, जब हर व्यक्ति अपनी जिम्मेदारी का सही तरह से निर्वहन करेगा। इसलिए राष्ट्र को महामारी से बचाने में हर व्यक्ति की अहम भूमिका है।
अपने साथ लोगों का भी ध्यान रखें
महामारी की चपेट में जब दुनिया हो तो इसे कमतर नहीं आंकना चाहिए। व्यक्ति को अपनी शक्तियों और संसाधनों का विचार करते हुए जो जनहित में उचित कदम उठाने चाहिए। ऐसे में राष्ट्र सर्वोपरि होना चाहिए। इस बात को कभी नहीं भूलना चाहिए। कोई भी ऐसा कदम नहीं उठाना चाहिए, जिससे खुद और पूरे राष्ट्र के लिए खतरा खड़ा हो जाए।
राष्ट्र का गौरव बढ़ाएं
संकट जब पूरे देश पर हो और दुनिया के अन्य देश भी इससे अछूते न हों तो ऐसी स्थिति में देश के सभी नागरिकों को एक जुट होकर दुनिया के सामने ऐसा उदाहरण पेश करने की कोशिश करनी चाहिए, जिससे संपूर्ण मानव सभ्यता अनुकरण करे। कोई राष्ट्र कितना श्रेष्ठ है, इसका पता संकट आने पर ही पता चलता है। इसलिए लोगों को ऐसा आचरण प्रस्तुत करना चाहिए, जिससे पूरे राष्ट्र का गौरव बढ़े।