- बनारस घराने की मशहूर मिश्रा बंधुओं वाली जोड़ी अब हमेशा के लिए टूट गई है। रविवार को मिश्रा बंधुओं में बड़े भाई पंडित राजन मिश्रा का निधन हो गया। राजन मिश्रा ने दिल्ली के एक अस्पताल में अंतिम सांस ली।
हिम शिखर ब्यूरो
नई दिल्ली
पद्म भूषण पंडित राजन मिश्रा का कोरोना के कारण रविवार को निधन हो गया। उन्होंने 70 वर्ष की उम्र में दिल्ली के एक अस्पताल में अंतिम सांस ली। बता दें कि रविवार को पंडित राजन मिश्रा को ह्रदय में समस्या होने के बाद दिल्ली के एक अस्पताल में भर्ती कराया गया था लेकिन चिकित्सकों के अथक प्रयास के बाद भी उनकी जान नहीं बचायी जा सकी। उनका जाना संगीत जगत के लिए एक ऐसी क्षति है जिसकी भरपाई कभी नहीं हो पाएगी।
पीएम नरेंद्र मोदी ने दी श्रद्धांजलि
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ट्विटर पर लिखा, ‘‘बनारस घराने से जुड़े मिश्र जी का जाना कला और संगीत जगत के लिए अपूरणीय क्षति है।’’ पीएम मोदी ने लिखा है कि, ‘‘शास्त्रीय गायन की दुनिया में अपनी अमिट छाप छोड़ने वाले पंडित राजन मिश्र जी के निधन से अत्यंत दुख पहुंचा है। शोक की इस घड़ी में मेरी संवेदनाएं उनके परिजनों और प्रशंसकों के साथ हैं।’’
लता मंगेशकर ने जताया दुख
लंता मंगेशकर ने ट्विटर पर ये दुखद खबर शेयर की है, उन्होंने ट्वीट करते हुए लिखा कि मुझे अभी पता चला कि बहुत गुणी शास्त्रीय गायक पद्म भूषण, संगीत नाटक अकेडमी पुरुस्कार से सम्मानित किए जा चुके पंडित राजन मिश्रा जी का निधन हो गया है। ये सुनकर मुझे बहुत दुख हुआ। इश्वर उनकी आत्मा को शांति प्रदान करे। मेरी संवेदनाएं उनके परिवार के साथ हैं।
जानिए कौन थे राजन मिश्रा
राजन मिश्रा भारत के प्रसिद्ध शास्त्रीय गायक थे। इन्हें सन् 2007 में भारत सरकार द्वारा कला के क्षेत्र में पद्म भूषण से सम्मानित किया गया था। इनका संबंध बनारस घराने से था। उन्होंने 1978 में श्रीलंका में अपना पहला संगीत कार्यक्रम दिया और इसके बाद उन्होंने जर्मनी, फ्रांस, स्विट्जरलैंड, आॅस्ट्रिया, संयुक्त राज्य अमेरिका, ब्रिटेन, नीदरलैंड, सिंगापुर, बांग्लादेश समेत दुनिया भर के कई देशों में अपनी कला का प्रदर्शन किया।
राजन और साजन मिश्रा की जोड़ी थी प्रसिद्ध
राजन और साजन मिश्रा दोनों भाई थे और साथ में ही कला का प्रदर्शन करते थे। दोनों भाइयों ने पूरे विश्व में खूब प्रसिद्धी हासिल की। पंडित राजन और साजन मिश्रा का मानना था कि जैसे मनुष्य शरीर पांच तत्वों से मिलकर बना है, वैसे ही संगीत के सात सुर ‘सारेगामापाधानी’ पशु-पक्षियों की आवाज से बनाए गए हैं। वहीं कुछ वर्षों पहले दोनों भाइयों ने कहा था कि आपदा के लिए प्रकृति नहीं हम जिम्मेदार हैं। उन्होंने यह भी कहा था कि हर इंसान को अपनी मानसिकता बदलनी होगी और प्रकृति का साथ देना होगा।