हिमशिखर ब्यूरो
परिवहन विभाग की ओर से देशभर में ‘सावधानी हटी, दुर्घटना घटी’ के पोस्टर, बैनर, होर्डिंग्स लगवाए जाते हैं. ये सड़क पर चलने या कोई भी गाड़ी चलाने वालों को चौकन्ना करने के लिए लगवाए जाते हैं। ताकि किसी भी तरह की दुर्घटना न हो. लेकिन, यह स्लोगन हर इंसान के लिए हर समय के लिए भी है. घटना-दुर्घटना कभी भी किसी भी तरह की घट सकती है. यह जरूरी नहीं कि सड़क पर ही दुर्घटना घटती है. यहां हम संकट की इस घड़ी में कोरोना वायरस संक्रमण से सावधानी की बात कर रहे हैं।
संपूर्ण देश अनलॉक की राह पर है, ऐसे में अब हमें हर कदम, हर दूरी और हर मंजिल के प्रति बहुत सावधानी रखनी होगी। अब हमें ऐसा संकल्प लेना ही पड़ेगा। जो भी हो, इस महामारी की डगर पर बिलकुल नहीं चलना है। चूंकि अब आने-जाने के रास्ते खुल गए हैं, तो हर कदम, हर दूरी और हर मंजिल के प्रति बहुत सावधानी रखना होगी। जरा-सी असावधानी फिर महंगी पड़ सकती है। सावधानी सीखिए श्रीराम से।
रावण से युद्ध में श्रीराम और उनके तीर सावधान थे कि कहां तक जाना है और फिर कहां लौटकर आना है। बड़ी प्रतीकात्मक घटना घटी थी रणांगन में। तीर लगते ही रावण जमीन पर गिरा और मर गया। तब उसके मस्तक और भुजाओं का राम ने क्या किया? तुलसीदासजी ने लिखा- ‘मंदोदरि आगें भुज सीसा। धरि सर चले जहां जगदीसा।’ रावण की भुजाओं और सिरों को मंदोदरी के सामने रखकर बाण फिर वहां चले जहां जगदीश्वर यानी श्रीराम थे। मतलब सारे बाण जाकर फिर तरकस में प्रवेश कर गए।
इस दृश्य को अब हमें अपने जीवन में उतारना है। श्रीराम जानते थे रावण का मस्तक, इसकी भुजाएं कहां पहुंचाना है। तो उन्हें उनकी सही जगह यानी मंदोदरी के सामने पहुंचा दिए। उसके बाद तीर वापस लौटकर तरकस में आए। इस दृश्य से सीखिए, इन दिनों अब बिलकुल ऐसा ही आचरण करना है कि कहां तक चलें, कहां तक पहुंचे और कहां लौटकर आएं। इसी में सबकी सुरक्षा है।