हिमशिखर ब्यूरो
नई टिहरी
चंबा-मसूरी फलपट्टी के चोपड़ियाल गांव के किसान खुशीराम डबराल स्वरोजगार एवं मेहनत के दम पर पलायन को मात दे रहे हैं। शनिवार को उत्तराखण्ड औद्यानिकी एवं वानिकी विश्वविद्यालय के कुलपति ने प्रगतिशील किसान खुशीराम के खेतों का भ्रमण किया। इस दौरान विवि के कुलपति किसान के वैज्ञानिक तरीके से खेती के कार्यों को देखकर गदगद हुए। उन्होंने अन्य किसानों से भी सीख लेने को कहा।
कुलपति पहुंचे चोपड़ियाल गांव
शनिवार को वीर चंद्र सिंह गढवाली उत्तराखण्ड औद्यानिकी एवं वानिकी विश्वविद्यालय भरसार के कुलपति प्रो. अजीत कुमार कर्नाटक के साथ निदेशक प्रसार प्रो. सी. तिवारी, निदेशक शोध डाॅ. अमोल वशिष्ट, डाॅ. अरविन्द विजल्वाण, प्रभारी अधिकारी पादप रोग विज्ञान अनुभाग डाॅ. लक्ष्मी रावत एवं डाॅ. तेजपाल सिंह बिष्ट ने चोपड़ियाल गांव के प्रगतिशील किसान खुशी राम डबराल के खेतों का भ्रमण किया। भ्रमण के दौरान कुलपति खुशीराम डबराल के बागवानी और विभिन्न प्रकार की सब्जियों के खेतों को देखकर गदगद हुए। भ्रमण के दौरान कुलपति ने डबराल के एक भू- भाग पर बागान एवं 3-4 पाली हाउस का निर्माण कार्य भी देखा। भ्रमण के दौरान कुलपति ने देखा कि खुशीराम डबराल ने लगभग 60-70 नाली जमीन पर विभिन्न प्रकार की सब्जियों, अनाजों, दालों एवं फलों आदि को खेती में शामिल किया है।
कुलपति बोले-खुशी राम अन्य किसानों के लिए प्रेरणा स्रोत
कुलपति प्रो. अजीत कुमार कर्नाटक ने कहा कि खुशीराम डबराल क्षेत्र के अन्य किसानों के लिये प्रेरणा स़्त्रोत हैं। साथ ही पहाड़ एवं उत्तराखण्ड को समृद्ध बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहें है। कुलपति प्रो कर्नाटक ने कहा कि यही कारण है कि अन्य किसान भी अब वानिकी महाविद्यालय के साथ जुड़ने की पहल कर रहे हैं। कहा कि क्षेत्र के किसानों को खेती संबंधी तकनीकियों एवं उन्नत किस्म के बीजों को किसानों को उपलब्ध करवाने के लिए विश्वविद्यालय सदैव प्रयासरत रहेगा। कहा कि खुशीराम वैज्ञानिक तरीके एवं जैविक विधि से बागवानी और सब्जियों का उत्पादन कर एक नई इबारत लिख रहे हैं।
बीमारी और कीटों के रोकथाम की दी जानकारी
विवि के प्रो. सी तिवारी एवं डाॅ. बिष्ट ने खुशी राम डबराल की लगाई गई शिमला मिर्च, खीरा, बैगन, बीन, पत्तागोभी, फूलगोभी, कददू, टमाटर आदि सब्जियों पर लगने वाली सभी बीमारियों एवं कीटों के रोकथाम के लिए विस्तार पूर्वक जानकारी देकर मौके पर समस्याओं का निराकरण भी किया। प्रो. सी. तिवारी ने उत्पादों को बाजार उपलब्ध कराने के संबंध में जानकारी दी। डा. लक्ष्मी रावत ने जैव अभिकर्ता उपलब्ध करवाया तथा जैविक खाद एवं जैविक विधि से खेती करने की विस्तृत जानकारी दी।
खुशी राम डबराल ने वैज्ञानिक तकनीक को बताया मददगार
श्री खुशी राम डबराल ने विवि की टीम को बताया कि प्रारम्भ में वे पारम्परिक विधियों से ही खेती किया करते थे, जिसमें मेहनत एवं लागत अधिक एवं मुनाफा कम ही हो पाता था। लेकिन वैज्ञानिक तकनीकियों को खेती में अपनाने के पश्चात कभी पीछे मुड़ कर नही देखा। बताया कि बारिश की बूंदों को संरक्षित करने के लिए अनेक जल संरक्षण टैंको का निर्माण किया है। साथ ही साथ डबराल ने डा लक्ष्मी रावत और विवि का बीज एवं वैज्ञानिक तकनीक में सहयोग करने पर आभार व्यक्त किया।