दुनिया में सबसे कीमती चीज क्या है? इस सवाल का जवाब हर व्यक्ति अपने हिसाब से देता है। किसी के लिए धन-दौलत जरूरी है, तो किसी के लिए दूसरी भौतिक वस्तुएं। बहरहाल, यह हम एक कहानी बताएंगे, जिसे पढ़कर इस सवाल का सही-सही जवाब मिल जाएगा।
एक राजा समय-समय पर प्रतियोगिताएं आयोजित करवाता था और विजेताओं को सम्मान तथा ईनाम देता था। राज्य के लोग इन प्रतियोगिताओं में खुलकर हिस्सा लेते थे। इससे उनमें हमेशा उत्साह बना रहता था।
एक बार राजा ने राजपुरुष के चयन की प्रतियोगिता रखी। उसने एक वाटिका बनवाई जिसमें हर तरह की वस्तुएं रखी गईं लेकिन उन पर उनका मूल्य नहीं लिखा था।
राजा ने ऐलान किया कि जो व्यक्ति इनमें से सबसे कीमती वस्तु लेकर वाटिका से बाहर आएगा, उसे इस साल का राजपुरुष घोषित किया जाएगा। लोग वाटिका में जाते और अपनी समझ से सबसे मूल्यवान वस्तु उठा लाते। कोई हीरे-जवाहरात लाया तो कोई पुस्तक उठाकर लाया, क्योंकि उसके लिए ज्ञान अधिक मूल्यवान था। एक गरीब रोटी उठाकर लाया क्योंकि उसकी नजर में रोटी ही मूल्यवान थी। एक भक्त ईश्वर की मूर्ति उठाकर लाया।
तभी एक योगी आया। वाटिका में काफी देर घूमने के बाद वह खाली हाथ बाहर निकला। राजा ने सभी व्यक्तियों द्वारा लाई गई वस्तुओं को देखा। जब योगी की बारी आई तो राजा ने पूछा, तुम क्या लाए हो? उसने कहा, ‘मैं संतोष लाया हूं, महाराज।’ राजा ने पूछा- ‘तुम्हारा संतोष क्या सबसे मूल्यवान है’?
योगी ने जवाब दिया- ‘हां महाराज, इस वाटिका में आपने जितनी भी वस्तुएं रखी हैं, उन्हें प्राप्त कर मनुष्य को खुशी तो होगी, पर वह क्षणिक होगी। इसे हासिल कर लेने के बाद फिर कुछ और पाने के लिए मन बेचैन हो उठेगा। लेकिन जिसका पास सच्चा संतोष है, वह सभी इच्छाओं से ऊपर होगा और सुखी रहेगा।’ राजा ने उस योगी को ही राजपुरुष घोषित किया।