‘चेतना पुंज’ श्रीदेव सुमन

श्रीदेव सुमन

डा. पी.पी. ध्यानी
कुलपति श्रीदेव सुमन विश्वविद्यालय।

Uttarakhand

महापुरुष हर युग की मांग होते हैं। युग को अपने विचारों से प्रभावित करके समाज में नवीन चेतना का संचार करते हैं। अधर्म, अन्याय, अत्याचार का विरोध करके जन समाज में नैतिक मूल्यों की स्थापना करते हैं। इसी प्रकार श्रीदेव सुमन ने भी इस धरा में जन्म लेकर अन्याय और अत्याचार के खिलाफ बिगुल बजाकर चेतना पुंज का कार्य किया। श्रीदेव सुमन महान अमर बलिदानी, स्वतंत्रता संग्राम सेनानी और टिहरी की ऐतिहासिक क्रांति के महानायक का नाम है।

श्रीदेव सुमन का जन्म टिहरी जिले के विकासखण्ड चंबा के जौल गांव में 25 मई 1916 को हुआ था। इनकी माता का नाम तारादेवी और पिता का नाम हरिराम बडोनी था। श्रीदेव सुमन ने 14 वर्ष की छोटी सी उम्र में ‘नमक सत्याग्रह’ में भाग लिया। जिस पर उन्हें 15 दिनों के लिए जेल भेज दिया गया। लेकिन इससे उनका उत्साह कम नहीं हुआ। 1939 में ‘टिहरी राज्य प्रजा मंडल’ की स्थापना हुई और सुमन जी इसके मंत्री बनाए गए।

1942 के ‘भारत छोड़ो’ आंदोलन में वे 15 दिन जेल में रहे। 21 फरवरी 1944 को उन पर राजद्रोह का मुकदमा ठोक कर भारी आर्थिक दंड लगा दिया गया। लेकिन अविचलित रहते हुए अपना मुकदमा स्वयं लड़ा और अर्थदंड की बजाए जेल जाना स्वीकार किया। जिस पर उन्हें काल कोठरी में ठूंसकर भारी-भरकम हथकड़ी व बेड़ियों में कस दिया गया। उन्हें जानबूझ कर खराब खाना दिया जाता था। बार-बार कहने पर भी कोई सुनवाई न होती देख 3 मई 1944 को उन्होंने आमरण अनशन शुरू कर दिया। 84 दिन बाद 25 जुलाई 1944 को जेल में ही उन्होंने शरीर त्याग दिया। जेलकर्मियों ने रात में ही उनका शव एक कंबल में लपेट कर भागीरथी और भिलंगना नदी के संगम स्थल पर फेंक दिया।

पाठ्यक्रम में शामिल होगी जीवनी
अमर शहीद श्रीदेव सुमन की जीवनी को पाठ्यक्रम में शामिल करने की दिशा में कवायद गतिमान है। इसके लिए विवि की ओर से गठित कमेटी आवश्यक कार्रवाई कर रही है। जल्द ही विवि के स्नातक पाठ्यक्रम में श्रीदेव सुमन के व्यक्तित्व और कृतित्व को शामिल कर लिया जाएगा। जिससे युवा पीढ़ी उनके जीवन से प्रेरणा लेकर आगे बढ़ सके।

छात्रों को दिया जाएगा गोल्ड मेडल
विश्वविद्यालय में स्नातक स्तर पर सर्वोच्च अंक प्राप्त करने वाले छात्र-छात्राओं को इस सत्र से श्रीदेव सुमन गोल्ड मेडल दिया जाएगा। विवि की कार्य परिषद ने पिछली बैठक में यह निर्णय लिया था। इसके साथ ही उनकी जन्म स्थली जौल गांव को स्मार्ट गांव बनाने की दिशा में भी कार्य किया जा रहा है।

अमर बलिदानी को शहादत दिवस पर भावभीनी श्रद्धांजलि के साथ श्रद्धा सुमन अर्पित करता हूं।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *