- सावन में व्रत रखना धार्मिक ही नहीं स्वास्थ्य के लिहाज से भी बेहतर होता है
- सावन के महीने में हर किसी को तामसिक भोजन से दूर रहना चाहिए
- सावन में हरी पत्तेदार सब्जियों को खाने से परहेज करना जरूरी होता है
सावन के महीने में भगवान भोलेनाथ की अाराधना होती है। सोमवार के व्रत रखे जाते हैं। इस पूरे महीने सात्विक धर्म का पालन करने की परंपरा है। चूंकि रहन-सहन में भोजन का अहम स्थान है, इसलिए सावन में खान-पान का भी विशेष ध्यान रखना चाहिए। पुराणों में बताया गया है, अपने शरीर को रोगों से मुक्त रखना भी मानव धर्म है क्योंकि स्वस्थ व्यक्ति ही समाज और धर्म को उन्नति के मार्ग पर ले जा सकता है।
डा. जे.एन. नौटियाल (एम.डी. आयुर्वेद)
सीनियर आयुर्वेदिक फिजिशियन
साग और अन्य हरी पत्तेदार सब्जियों को खाना सेहत के लिए अच्छा होता है। लेकिन सावन के महीने में इन्हें खाने से शरीर को नुकसान हो सकता है।
बैंगन को धर्म शास्त्रों में शुद्घ नहीं माना जाता। इन्हें खाने के पीछे वैज्ञानिक आधार ये है कि सावन के महीने में इनमें कीड़े पड़ जाते हैं। जो हेल्थ को नुकसान पहुंचा सकते हैं।
दूध नहीं पीना चाहिए क्योंकि सावन के महीने में ये वात को बढ़ाता है। जरूरी होने पर दूध में हल्दी डालकर पी सकते हैं।
इस महीने में डाइजेशन पावर वीक हो जाती है इसलिए ऑयली और हैवी खाना खाने से बचें।
ये चीज़े खाएं
- फलों में सेब, केला, पपीता या मौसमी फल खाने चाहिए।
- सब्जियों में लौकी खाना चाहिए। ये जल्दी हजम हो जाती है।
- अनाज में पुराने चावल, मूंग, अरहर, गेहूं और मक्का खाएं।
इस मौसम जड़ी-बूटियों का करें सेवन
सावन महीने में पाचन अग्नि को दुरुस्त रखने के लिए गिलोय, नीम, तुलसी, चित्रक, दालचीनी, पीपली, सौंफ, सेंधा नमक खाएं। इन औषधीय पौधों से बनी आयुर्वेदिक औषधि जैसे चित्रकादि वटी, अग्नितुंडी वटी, लवण भास्कर चूर्ण, वैश्वानर चूर्ण, हिंग्वाष्टक चूर्ण आदि औषधियां मंदाग्नि में बहुत लाभ कर होती है।
इसके अतिरिक्त वर्षा ऋतु में वात व्याधि का प्रकोप होता है। एेसे में वर्षा ऋतु में पंचकर्म चिकित्सा करवाने से शरीर का शोधन होता है और अग्नि प्रदीप्त होती है। साथ ही 80 प्रकार के वात रोग भी ठीक हो जाते हैं।