• यह तकनीक दुश्मन के रडार से पैदा खतरों से लड़ाकू विमानों की रक्षा करेगी
• भारतीय वायु सेना ने सफल परीक्षणों के बाद शामिल करने की प्रक्रिया शुरू की
• रक्षा मंत्री ने ‘आत्मनिर्भर भारत’ की दिशा में डीआरडीओ का एक और कदम बताया
नई दिल्ली
रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) ने एक उन्नत तकनीक विकसित की है जिसका इस्तेमाल दुश्मन के रडार निर्देशित मिसाइलों का ध्यान भटकाने में होता है ताकि भारतीय वायु सेना के लड़ाकू विमानों को दुश्मनों की मिसाइल से बचाया जा सके। भारतीय वायु सेना ने सफल परीक्षणों के बाद इस तकनीक को शामिल करने की प्रक्रिया शुरू कर दी है ।
बृहस्पतिवार को रक्षा मंत्रालय ने एक बयान जारी कर कहा कि आज के इलेक्ट्रॉनिक युद्ध में आधुनिक रडार खतरों में प्रगति के कारण लड़ाकू विमानों की उत्तरजीविता प्रमुख चिंता का विषय बना है। विमान की उत्तरजीविता सुनिश्चित करने के लिए, काउंटर मेजर डिस्पेंसिंग सिस्टम (सीएमडीएस) का उपयोग किया जाता है। जो इंफ्रा-रेड और रडार खतरों के खिलाफ निष्क्रिय जैमिंग प्रदान करता है। चैफ एक महत्वपूर्ण रक्षा तकनीक है जिसका उपयोग लड़ाकू विमानों को शत्रुतापूर्ण रडार खतरों से बचाने के लिए किया जाता है।
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने इस महत्वपूर्ण प्रौद्योगिकी के स्वदेशी विकास के लिए डीआरडीओ, वायुसेना और उद्योग की सराहना की है। उन्होंने इसे रणनीतिक रक्षा प्रौद्योगिकियों में ‘आत्मनिर्भर भारत’ की दिशा में डीआरडीओ का एक और कदम बताया है।
रक्षा अनुसंधान एवं विकास विभाग के सचिव और डीआरडीओ के अध्यक्ष डॉ. जी सतीश रेड्डी ने इस उन्नत तकनीक के सफल विकास से जुड़ी टीमों को बधाई देते हुए कहा कि यह भारतीय वायु सेना को और मजबूत करेगी।