गोल्डन पंच: टिहरी के रोहित चमोली ने एशियाई जूनियर बाॅक्सिंग चैंपियनशिप में स्वर्ण पदक जीतकर किया कमाल, छोटी उम्र में बड़ी उपलब्धि


हिमशिखर खेल डेस्क
नई टिहरी
संघर्ष जीवन को निखारते, संवारते व तराशते हैं और ऐसा बना देते हैं जिसकी प्रशंसा करते जबान थकती नहीं। जी हां, हम बात कर रहे हैं दुबई में एशियाई जूनियर मुक्केबाजी चैंपियनशिप में स्वर्ण पदक जीतने वाले रोहित चमोली की। टिहरी जनपद के पलाम गांव के रोहित ने जीवन के कड़े संघर्ष में स्वर्ण पदक जीतकर  देश का नाम रोशन किया है। रोहित की सफलता से टिहरी जनपद में खुशी की लहर है।

Uttarakhand

16 वर्षीय रोहित चमोली ने कड़े फाइनल मुकाबले में मंगोलिया के ओटगोनबयार तुवशिंजया को 3-2 से हराया। रोहित ने इस प्रतिष्ठित महाद्वीपीय प्रतियोगिता में अपना प्रभावशाली प्रदर्शन जारी रखते हुए जूनियर लड़कों के 48 किग्रा भार वर्ग के फाइनल में सतर्क शुरूआत करने के बाद सटीक आक्रमण से करीबी मुकाबले में अपने मंगोलियाई प्रतिद्वंद्वी पर बढ़त हासिल की, जिससे वह स्वर्ण पदक हासिल करने में सफल रहा।

बताते चलें कि रोहित चमोली के पिता जयप्रकाश टिहरी जनपद के पलाम गांव के रहने वाले हैं। रोजी-रोटी की तलाश में वह चंड़ीगढ़ गए थे और वहीं बस गए। इसके बाद रोहित और परिवार के अन्य सदस्यों को भी अपने साथ चंड़ीगढ़ ले गए। अभी वर्तमान में जयप्रकाश चंड़ीगढ में एक होटल में कुक की नौकरी करते हैं।

16 वर्षीय रोहित चमोली ने चंड़ीगढ के सेक्टर-16 के सरकारी स्कूल से हाईस्कूल की परीक्षा पास की है। रोहित के दादा चंद्रमणी चमोली ( 80 वर्षीय) और दादी सत्तू देवी (73 वर्षीय) पलाम गांव में रहते हैं।

रोहित के पिता जयप्रकाश और बुआ सुशीला देवी ने बताया कि रोहित बचपन से ही मुक्केबाजी की दुनिया में नाम कमाना चाहता था। रोहित ने कड़ी मेहनत, लगन व धैर्य के साथ परिश्रम किया। कहा कि जूनियर एशियन चैंपियनशिप में गोल्ड मेडल जीतकर टिहरी के साथ ही पूरे देश का मान बढ़ाया है।

बड़ी बहन के साथ कोच से सीखे बाॅक्सिंग के गुर
रोहित को बचपन से ही बाॅक्सिंग का शौक था। दरअसल, रोहित के चचेरी बहन मीनाक्षी भी मुक्केबाज है। जब रोहित मीनाक्षी को मुक्केबाजी करते हुए देखता, तो अपना लक्ष्य मुक्केबाजी को बना दिया। शुरूआती दिनों में मीनाक्षी ने रोहित को मुक्केबाजी का प्रशिक्षण दिया। इसके बाद रोहित को जोगिंदर कुमार का सान्निध्य प्राप्त हुआ। जोगिंदर कुमार के भीतर बच्चों को मुक्केबाजी सिखाने का जुनून है। खास बात यह है कि जोगिंदर गरीब घर के बच्चों को मुक्केबाजी में निशुल्क प्रशिक्षण देते हैं।

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