चंडीगढ़
हिमशिखर खेल डेस्क
रोहित चमोली, ये नाम कल तक गुमनाम था, लेकिन आज सबकी जुबां पर है, तो इसकी वजह है गोल्ड मेडल, जिसे उसने एशियाई जूनियर मुक्केबाजी चैंपियनशिप में जीता है। रोहित ने दुनियाभर में भारत का नाम रोशन कर दिया है।
सात समुंदर पार दुबई में एशियाई जूनियर मुक्केबाजी चैंपियनशिप में शानदार प्रदर्शन कर स्वर्ण पदक जीतने वाला टिहरी का बेटा रोहित चमोली वापस भारत लौट आया है। गुरुवार को चंडीगढ़ एयरपोर्ट में रोहित का फूल मालाओं से भव्य स्वागत किया गया। खास बात यह है कि अब रोहित का बाॅक्सिंग प्रशिक्षण का ठिकाना पब्लिक पार्क की जगह आर्मी स्पोर्ट्स इंस्टीट्यूट होगा। वहीं, इस खबर से टिहरी में भी खुशी है।
टिहरी के पलाम गाँव के रोहित ने एशियाई जूनियर मुक्केबाजी प्रतियोगिता में 48 किलो भार वर्ग के फाइनल में मंगोलिया के ओटगेनबयार तुबश्जिया को 3-2 से हराकर स्वर्ण पदक जीता था। रोहित बचपन में अपने पिता के साथ चंडीगढ़ चला गया था। रोहित के दादा-दादी गांव में रहकर पशुपालन और खेतीबाड़ी करते हैं। गुरुवार को दुबई से चंडीगढ़ पहुंचते ही परिवारीजनों और मित्रों ने एयरपोर्ट पर फूल मालाओं और मिठाई खिलाकर रोहित का स्वागत किया। मेडल लेकर जब रोहित घर आया तो माहौल दीपावली जैसा दिखा।
रोहित ने खुले पब्लिक पार्क में ली ट्रेनिंग
रोहित के पिता जयप्रकाश होटल में कुक की नौकरी करते हैं। मध्यमवर्गीय परिवार के रोहित ने आर्थिक रूप से कमजोर होने के कारण चंडीगढ़ के पब्लिक पार्क में ही बाॅक्सिंग के गुर जरुर सीखे, लेकिन कड़ी मेहनत के दम पर रोहित ने सात समुंदर पार स्वर्ण पदक जीतकर भारत का परचम लहराकर अपनी प्रतिभा का लोहा मनवाया। अब इस मेडल से रोहित को अपने करियर को दूर तलक ले जाने में भी मदद मिलेगी।
आर्मी स्पोर्ट्स इंस्टीट्यूट में मिलेगा दाखिला
रोहित ने गरीबी को मात देकर अपनी मंजिल हासिल की है। गरीब परिवार के होनहार रोहित का चयन आर्मी स्पोर्ट्स इंस्टिट्यूट पूना के लिए कर लिया गया। ऐसे में अब रोहित को खुले पार्क में बाॅक्सिंग की जगह आर्मी के प्रतिष्ठित संस्थान में सीखने का मौला मिल सकेगा। संस्थान में दाखिले के लिए रोहित ने तैयारियां भी शुरू कर दी हैं। एक सप्ताह के भीतर रोहित संस्थान में प्रवेश लेगा।