भाद्रपद अमावस्या 6-7 को, जाने पहले तिथि-दूसरे तिथि का महत्व

पंडित उदय शंकर भट्ट

Uttarakhand

भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि को भाद्रपद अमावस्या कहते हैं। इस साल यह तिथि सोमवार 06 सितंबर सुबह से शुरु होकर मंगलवार 7 सितंबर को सुबह तक रहेगी। सोमवार को श्राद्ध कर्म करने की और मंगलवार को स्नान-दान करने की अमावस्या रहेगी।

हिन्दी पंचांग का एक माह दो भागों में यानी शुक्ल पक्ष और कृष्ण पक्ष में बंटा रहता है। एक पक्ष 15 दिनों का होता है। शुक्ल पक्ष में चंद्र की कलाएं बढ़ती हैं यानी चंद्र बढ़ता है। कृष्ण पक्ष में चंद्र घटता है और अमावस्या पर पूरी तरह से अदृश्य हो जाता है। इस तिथि पर भाद्रपद मास का कृष्ण पक्ष खत्म हो जाएगा।

सोमवार को अमावस्या होने से इस दिन शिवजी का विशेष अभिषेक करना चाहिए। अभिषेक पहले जल से फिर पंचामृत से और फिर जल से करना चाहिए। अभिषेक के बाद भगवान को चंदन से तिलक करें। बिल्व पत्र, धतूरा और काले तिल चढ़ाएं। चावल, जनेऊ आदि पूजन सामग्री चढ़ाएं। भगवान को मिठाई का भोग लगाएं। धूप-दीप जलाएं, आरती करें। भगवान से पूजा में हुई जानी-अनजानी भूल के लिए क्षमा मांगें। पूजा के बाद प्रसाद भक्तों को बांटें और खुद भी ग्रहण करें।

मंगलवार को भी अमावस्या तिथि होने से इस दिन हनुमान जी की विशेष पूजा करें। किसी हनुमान मंदिर में भगवान का चोला चढ़वाएं। सिंदूर और चमेली का तेल चढ़ाएं। हार-फूल अर्पित करें। हनुमान जी के सामने दीपक जलाकर हनुमान चालीसा या सुंदरकांड का पाठ करें। किसी हनुमान मंदिर में लाल ध्वजा का दान करें।

अमावस्या तिथि पर पितरों के लिए धूप-ध्यान करना चाहिए। गाय को हरी घास खिलाएं । जरूरतमंद लोगों को खाने का दान करें। अमावस्या पर किसी तालाब में मछलियों को आटे की गोलियां बनाकर खिलाना चाहिए।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *