मनुष्य जीवन में संस्कारों का बड़ा महत्व है। संसार में किसी भी इंसान का आचार व व्यवहार देखकर ही उसके परिवार के संस्कारों का अनुमान लगाया जा सकता है। हम कोरे कागज पर जैसा भी लिखना चाहें वैसा ही लिख सकते हैं। बच्चे का जीवन व मन भी कोरे कागज की भांति होता है। जब बच्चा छोटा होता है तभी से उसमें अच्छे संस्कार भरे जा सकते हैं। बचपन में संस्कार देने से बच्चा आगे जाकर अच्छा इंसान बनता है।
आचार्य पुलक सागर
मनुष्य अनंत संभावनाओं का पुंज है। यदि वह जन्म से लेकर मृत्यु तक अपनी संभावनाओं को पूर्ण नहीं करता तो समझना वह अपूर्ण आया है और अपूर्ण ही दुनिया से चला जाएगा। संभावनाओं की पूर्णता के लिए संस्कारों का बीजारोपण कर तुम बहुत कुछ बन सकते हो। शर्त यह है कि तुम्हेंं उसके अनुरूप संस्कार दिए जाएं। अच्छे संस्कार मिलें, तो वह भगवान भी बन जाता है।
कभी आपने सोचा है कि कोई इंसान राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री या संत बनकर पैदा हुआ है। नहीं, वह पैदा तो इंसान के रूप में हुआ, लेकिन इस महनीय पद तक अपने परिश्रम, संस्कार और त्याग के आधार पर पहुंचा। इंसान में राम और रावण, कृष्ण और कंस, महावीर और मारीच बनने की संभावनाएं होती हैं। यह उसके संस्कारों पर निर्भर करता है कि वह राम बनकर पूजा जाए या रावण बने।