नई दिल्ली
11 सितंबर, 2001। अमेरिका में यह मंगलवार का दिन था। मौसम साफ था और धूप खिली हुई थी। किसी आम दिन की तरह अमेरिकी लोग सुबह उठकर अपने काम पर जा चुके थे या रास्ते में थे। न्यूयॉर्क की सबसे ऊंची इमारत वर्ल्ड ट्रेड सेंटर में भी चहलकदमी शुरू हो गई थी लेकिन यहां किसी को भी पता नहीं था अगले चंद घंटों में उनकी दुनिया हमेशा के लिए बदल जाएगी। उन्हें पता नहीं था कि वे सूरज की अंतिम किरणों को देख रहे हैं। यह अमेरिका की धरती पर सबसे बड़ा हमला था। इन हमलों में करीब 3000 लोग काल की गाल में समा गए।
न्यूयॉर्क के वर्ल्ड ट्रेड सेंटर में भी करीब 18 हजार कर्मचारी अपने-अपने कामों में लगे थे। ये बिल्डिंग न्यूयॉर्क की एक प्रमुख ट्रेड सेंटर थी। यहां बड़ी-बड़ी कंपनियों के ऑफिस थे जिनमें हजारों लोग काम करते थे और इतने ही लोगों का आना-जाना लगा रहता था।
तभी 8 बजकर 45 मिनट पर बोइंग 767 तेज रफ्तार से वर्ल्ड ट्रेड सेंटर के नॉर्थ टॉवर से जा टकराया। सैकड़ों लोग मारे गए और इतने ही लोग आग और धुएं के बीच कैद होकर रह गए। अभी तक पूरी दुनिया इसे एक हादसा समझ रही थी।
18 मिनट बाद एक दूसरा बोइंग 767 बिल्डिंग के साउथ टॉवर से जा टकराया। बिल्डिंग में आग लग गई और कई लोग मारे गए। अब ये साफ हो चुका था कि ये हादसा नहीं बल्कि आतंकवादी हमला था।
19 आतंकियों ने 4 विमान हाइजैक किए थे। 2 विमान वर्ल्ड ट्रेड सेंटर के दोनों टॉवरों से टकरा गए। तीसरा विमान अमेरिकी रक्षा मंत्रालय यानी पेंटागन से टकराया। पेंटागन में 184 लोग मारे गए। चौथा विमान शेंकविले में एक खेत में क्रैश हुआ था।
इसे मानव इतिहास का सबसे भीषण आतंकी हमला माना जाता है। हमले में 93 देशों के करीब 3000 लोग मारे गए। हाइजैकर्स में 15 सऊदी अरब के थे, जबकि बाकी यूएई, मिस्र और लेबनान के थे। इस हमले के बाद ही अलकायदा का चीफ ओसामा बिन लादेन दुनिया का मोस्ट वांटेड आतंकी बन गया। अमेरिका ने लादेन को जिंदा या मुर्दा पकड़ने के लिए 2.5 करोड़ डॉलर का इनाम रखा था। आखिरकार, 2 मई 2011 में अमेरिका ने सीक्रेट मिशन में पाकिस्तान के एबटाबाद में छिपकर रह रहे लादेन को मार गिराया।