उत्सव : आज है वामन जयंती, विश्वकर्मा पूजा और कन्या संक्रांति, ब्रह्मा जी की कृपा से प्रकट हुए थे विश्वकर्मा

Uttarakhand

हर्षमणि बहुगुणा

आज 17 सितंबर को एक साथ चार खास पर्व मनाए जा रहे हैं। आज वामन जयंती, विश्वकर्मा पूजा, कन्या संक्रांति और एकादशी है। हर साल कन्या संक्रांति की तारीख पर ही विश्वकर्मा जयंती मनाई जाती है। ऐसे सुअवसर पर हम भी एक संकल्प ले सकते हैं कि इस मानव तन से परमार्थ का कर्म करें।

यह चिन्तन करते हुए आगे बढ़ें कि संसार से मिली हुई सामग्री को अपनी मानकर सेवा में लगाने से अभिमान आता है। अतः सेवा के लिए सामग्री की नहीं, हृदय की आवश्यकता है। कसौटी कस कर देखा जाय तो पता चलता है कि सेवा का तो बहाना है। सम्भवतः अच्छाई के चोले में बुराई भी रहती है । ‘ कालनेमि जिमि रावन राहू’ । उपर अच्छाई का चोला व भीतर बुराई भरी हो। यही बुराई सबसे भयंकर होती है, जो बुराई प्रत्यक्ष होती है वह इतनी खतरनाक नहीं होती, जितनी यह । दूसरे के दु:ख से दु:खी व सुख से सुखी होकर ही सेवा की जा सकती है ।

यह बात अति आवश्यक व महत्वपूर्ण भी है कि दूसरों के दु:ख से दुखी होने वाला अपने दु:ख से कभी दुखी नहीं होता और दूसरों के सुख से सुखी होने वाला अपने सुख के लिए कभी भी संग्रह नहीं करता । अतः महिमा के लिए नहीं आत्म शान्ति के लिए समाज की सेवा करने की आवश्यकता है। तो आइए इस आश्विन मास में जिसमें आज विष्णु श्रृंखल योग है के सूर्योदय से परदु:ख से द्रवित होकर परमार्थ करने का फैसला लिया जाय । यही पुण्य है, ऐसा करने से हमारी-आपकी मानवता नित दूनी बढ़ेगी।

हर माह आती है संक्रांति

सूर्य जिस दिन एक राशि से दूसरे राशि में प्रवेश करता है, उसे संक्रांति कहा जाता है। 17 सितंबर को सूर्य सिंह से कन्या में प्रवेश करेगा, इसलिए इसे कन्या संक्रांति कहा जाता है। हिन्दी पंचांग के अनुसार एक वर्ष में 12 संक्रांतियां आती हैं। सूर्य एक राशि में करीब एक माह रुकता है और फिर राशि बदल लेता है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *