पंडित उदय शंकर भट्ट
पितृ ऋण से मुक्ति के पर्व पितृपक्ष का समापन कल बुधवार (6 अक्टूबर) को सर्वपितृ अमावस्या पर होगा। इस दिन उन पितरों का भी श्राद्ध किया जाएगा जिनके निधन की तिथि ज्ञात न हो। इस मौके पर गजछाया योग का दुर्लभ संंयोग बन रहा है। इस मंगलकारी संयोग में पितरों का तर्पण और दान से घर में सुख-शांति और समृद्धि का आशीर्वाद मिलता है।
सर्व पितृ अमावस्या पितृ पक्ष का आखिरी दिन होता है। इसे विसर्जनी अमावस्या भी कहा जाता है। इस दिन उन सभी पितरों का तर्पण-श्राद्ध किया जाता है, जिनकी तिथि हम भूल चुके होते हैं या ज्ञात नहीं होती। अश्विन मास की अमावस्या का हिंदू धर्म में विशेष महत्व होता है। इस साल 6 अक्टूबर को सर्व पितृ अमावस्या है। खास बात यह है कि इस बार इस दिन एक विशेष योग बन रहा है, जो कि कई सालों में बनता है।
ऐसे करें पितरों को खुश
अमावस्या के दिन सुबह में पवित्र नदियों में स्नान करें और फिर सभी ज्ञात और अज्ञात पितरों को स्मरण कर जल अर्पित करें। घर में गाय के दूध से बनी हुई खीर और अन्य विशेष व्यंजन बनाएं और इसे पितरों के निमित्त निकाल लें और किसी ऐसे स्थान पर रखें, जहां पर कौए पहुंच सके। भोजन का कुछ अंश सबसे पहले गाय, फिर कौए और चीटियों के लिए निकाले। इसके बाद पितरों को श्रद्धापूर्वक विधि-विधान से विदा करें और उन्हें स्मरण कर आशीर्वाद की प्रार्थना करें। साथ ही ब्राह्मण को भोजन कराएं। उन्हें अन्न और कपड़ों का दान दें।
भूलकर भी न करें ये काम
मान्यता है कि सर्वपितृ अमावस्या के दिन अगर कोई व्यक्ति दान- दक्षिणा लेने आता है तो उसे खाली हाथ न लौटाएं। इस दिन कोई व्यक्ति आपके घर खाना मांगने आता है तो खाली पेट नहीं जान दें। ऐसे लोगों को आटा- चावल का दान करना चाहिए। अमावस्या के दिन मांस- मंदिरा और प्याज, लहसुन खाने से परहेज करना चाहिए। ऐसा करने से पितृदोष लगता है। इसलिए इन चीजों को नहीं खाना चाहिए। सर्वपितृ अमावस्या के दिन बाल और नाखून नहीं काटने चाहिए। इस दिन दाढ़ी भी नहीं बनानी चाहिए। शास्त्रों में इन चीजों को करना अशुभ माना जाता है।