पंडित उदय शंकर भट्ट
शारदीय नवरात्र यानि मां दुर्गा के पूजन-अर्चन के नौ दिन। नवरात्र के सभी दिन मां दुर्गा को समर्पित होते हैं। मान्यता है कि इन नौ दिनों मां दुर्गा की पूरी भक्ति भाव से पूजा करने से वे अपने भक्तों से प्रसन्न होकर उन पर कृपा बरसाती हैं। लेकिन, इस साल शारदीय नवरात्र आठ दिन ही आ रहे हैं। कारण है कि इस बार चतुर्थी और पंचमी तिथि एक साथ पड़ रही है, ऐसे में 7 अक्टूबर से शुरू हो रहे शारदीय नवरात्र 14 अक्टूबर तक रहेंगे और 15 अक्टूबर को विजयदशमी यानी दशहरा मनाया जाएगा।
ऋषि-मुनियों ने वर्ष में मुख्यतया दो बार नवरात्रों का विधान बनाया है। विक्रम संवत के पहले दिन अर्थात चैत्र मास शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा (पहली तिथि) से नौ दिन अर्थात नवमी तक। और इसी प्रकार ठीक छह मास बाद आश्विन मास शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा से महानवमी अर्थात विजयादशमी के एक दिन पूर्व तक। साधना की दृष्टि से शारदीय नवरात्रों को ज्यादा महत्वपूर्ण माना गया है।
नवरात्र के पीछे का वैज्ञानिक आधार यह है कि पृथ्वी द्वारा सूर्य की परिक्रमा एक साल की चार संधियां हैं जिनमें से मार्च व सितंबर माह में पड़ने वाली गोल संधियों में साल के दो मुख्य नवरात्र पड़ते हैं। इस समय रोगाणु आक्रमण की सर्वाधिक संभावना होती है। ऋतु संधियों में अक्सर शारीरिक बीमारियां बढ़ती हैं। अत: उस समय स्वस्थ रहने के लिए तथा शरीर को शुद्ध रखने के लिए और तन-मन को निर्मल और पूर्णत: स्वस्थ रखने के लिए की जाने वाली प्रक्रिया का नाम ‘नवरात्र’ है।
इस बार शारदीय नवरात्र नौ दिन के बजाय 8 दिनों की होगी, क्योंकि इस बार तिथियों के घटने और बढ़ने से नवरात्रि के दिन कम हो गए हैं। इस बार शारदीय नवरात्रि में चतुर्थी और पंचमी तिथि एक ही दिन होने के कारण इस बार नवरात्रि 8 दिनों की रहेगी।
घट स्थापना का सर्वोत्कृष्ट मुहुर्त 11बजकर 52मिनट से 12 बजकर 38 मिनट तक है।