नवरात्र आज से:जानिए पूजन विधि और पूजा में ध्यान रखी जाने वाली बातें, नवरात्रि में खरीदारी और नए कामों की होगी शुरुआत

महाशक्ति की आराधना का पर्व नवरात्र के दौरान देवी दुर्गा के अलग-अलग नौ रूपों की पूजा-अर्चना की जाती है, जिन्हें नवदुर्गा की संज्ञा दी गई है। जानिए कलश स्थापना, शुभ महूर्त और पूजा विधि।


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  • इस बार 8 दिन ही रहेगी नवरात्रि, 15 को मनेगा दशहरा
  • नवरात्रि में खरीदारी, नए कामों की शुरुआत और रियल एस्टेट में निवेश के लिए रहेंगे 6 शुभ मुहूर्त

नवरात्रों का त्योहार भारतवर्ष में मनाये जाने वाले प्रमुख त्योहारों में से एक है, जिसका जिक्र पुराणों में भी अच्छे से मिलता है। वैसे तो पुराणों में एक वर्ष में चैत्र, आषाढ़, अश्विन और माघ के महीनों में कुल मिलाकर चार बार नवरात्रों का जिक्र किया गया है, लेकिन चैत्र और अश्विन माह के नवरात्रों को ही प्रमुखता से मनाया जाता है। महाशक्ति की आराधना का पर्व नवरात्र के दौरान देवी दुर्गा के अलग-अलग नौ रूपों की पूजा-अर्चना की जाती है, जिन्हें नवदुर्गा की संज्ञा दी गई है।

आज घट स्थापना के लिए सिर्फ 1 ही शुभ मुहूर्त रहेंगे। इस साल चित्रा नक्षत्र और वैधृति नाम का अशुभ योग पूरे दिन रहने के कारण ऐसा हो रहा है। अभिजीत मुहूर्त में घट स्थापना करना शुभ रहेगा। घट स्थापना का सर्वोत्कृष्ट मुहुर्त 11बजकर 52मिनट से 12 बजकर 38 मिनट तक है।

कलश स्थापना: ब्रह्मांड में मौजूद शक्ति तत्व का आह्वान

कलश स्थापना का अर्थ है नवरात्रि के वक्त ब्रह्मांड में मौजूद शक्ति तत्व का घट यानी कलश में आह्वान करना। शक्ति तत्व के कारण घर की नकारात्मक ऊर्जा नष्ट हो जाती है। नवरात्रि के पहले दिन पूजा की शुरुआत दुर्गा पूजा के लिए संकल्प लेकर ईशान कोण (पूर्व-उत्तर) में कलश स्थापना करके की जाती है।

कलश स्थापना क्यों

1. नवरात्रि में स्थापित किया गया कलश आसपास की नकारात्मक ऊर्जा को खत्म कर देता है।
2. कलश स्थापना से घर में शांति होती है। कलश को सुख और समृद्धि देने वाला माना गया है।
3. घर में रखा कलश वहां का माहौल भक्तिमय बनाता है। इससे पूजा में एकाग्रता बढ़ती है।
4. घर में बीमारियां हों तो नारियल का कलश उसको दूर करने में मदद करता है।
5. कलश को भगवान गणेश का रूप भी माना जाता है, इससे कामकाज में आ रही रुकावटें भी दूर होती हैं।

नवरात्र में ये रहेंगे शुभ योग…
दिन — योग
8 अक्टूबर – रवियोग शाम 6.59 बजे से शुरू
9 अक्टूबर – रवियोग शाम 4.47 बजे तक
10 अक्टूबर – रवियोग दोपहर 2.44 बजे से शाम 7.38 बजे तक
11 अक्टूबर – कुमार योग दोपहर 12.56 बजे से रात 11.51 बजे तक और रवियोग दोपहर 12.56 बजे से शुरू
12 अक्टूबर – रवि योग सुबह 11.26 बजे तक और राजयोग सुबह 11.26 बजे से रात 9.48 बजे तक
14 अक्टूबर – रवि योग सुबह 9.35 बजे से शुरू

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