भगवान जो करते हैं वह अपने भक्त के हितार्थ ही करते हैं, व्यक्ति मोह के कारण उसे अपने नजरिए से देखता है, इस तथ्य को इस दृष्टान्त के माध्यम से समझा जा सकता है।
हर्षमणि बहुगुणा
एक बार नारद जी ने भगवान से प्रश्न किया कि प्रभु आपके भक्त गरीब क्यों होते हैं?
भगवान बोले – “नारद जी ! मेरी कृपा को समझना बड़ा कठिन है।”
इतना कहकर भगवान नारद के साथ साधु भेष में पृथ्वी पर पधारे और एक सेठ जी के घर भिक्षा मांगने के लिए दरवाजा खटखटाने लगे।
सेठ जी बिगड़ते हुए दरवाजे की तरफ आए और देखा तो दो साधु खड़े हैं।
भगवान बोले – “भैया ! बड़े जोरों की भूख लगी है। थोड़ा सा खाना मिल जाएगा।”
सेठ जी बिगड़कर बोले “तुम दोनों को शर्म नहीं आती। तुम्हारे बाप का माल है ? कर्म करके खाने में शर्म आती है, जाओ-जाओ किसी होटल में खाना मांगना।”
नारद जी बोले – “देखा प्रभु ! यह आपके भक्तों और आपका निरादर करने वाला सुखी प्राणी है। इसको अभी शाप दीजिये।”*
नारद जी की बात सुनते ही भगवान ने उस सेठ को अधिक धन सम्पत्ति बढ़ाने वाला वरदान दे दिया।
इसके बाद भगवान नारद जी को लेकर एक बुढ़िया मैया के घर गए।
जिसकी एक छोटी सी झोपड़ी थी, जिसमें एक गाय के अलावा और कुछ भी नहीं था।
जैसे ही भगवान ने भिक्षा के लिए आवाज लगायी, बुढ़िया मैया बड़ी खुशी के साथ बाहर आयी। दोनों सन्तों को आसन देकर बिठाया और उनके पीने के लिए दूध लेकर आयीं और.. बोली – “प्रभु ! मेरे पास और कुछ नहीं है, इसे ही स्वीकार कीजिये।”
‘भगवान ने बड़े प्रेम से स्वीकार किया।
तब नारद जी ने भगवान से कहा – “प्रभु ! आपके भक्तों की इस संसार में देखो कैसी दुर्दशा है, मेरे से तो देखी नहीं जाती।यह बेचारी बुढ़िया मैया आपका भजन करती है और अतिथि सत्कार भी करती है। आप इसको कोई अच्छा सा आशीर्वाद दीजिए।”
*भगवान ने थोड़ा सोचकर उसकी गाय को मरने का शाप दे डाला।”
*यह सुनकर नारद जी बिगड़ गए और कहा – “प्रभु जी ! यह आपने क्या किया ?”
*भगवान बोले – “यह बुढ़िया मैया मेरा बहुत भजन करती है। कुछ दिनों में इसकी मृत्यु हो जाएगी और मरते समय इसको गाय की चिन्ता सताएगी कि.. । मेरे मरने के बाद मेरी गाय को कोई कसाई ले जाकर काट न दे, मेरे मरने के बाद इसको कौन देखेगा ?*
*तब इस मैया को मरते समय मेरा स्मरण न होकर बस गाय की चिन्ता रहेगी और वह मेरे धाम को न जाकर गाय की योनि में चली जाएगी।”
*उधर सेठ को धन बढ़ाने वाला वरदान दिया कि मरते समय धन तथा तिजोरी का ध्यान करेगा और वह तिजोरी के नीचे साँप बनेगा।
प्रकृति का नियम है जिस चीज में अति लगाव रहेगा यह जीव मरने के बाद वहीं जन्म लेता है और बहुत दुख भोगता है. ।
” *ज़िन्दगी परिवर्तनों से बनी है, अतः किसी भी परिवर्तन से घबराएं नहीं अपितु उसे स्वीकार करें।
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