उपराष्ट्रपति ने फिल्म निर्माताओं से हिंसा और अश्लीलता का चित्रण करने से दूर रहने का अनुरोध किया

  • फिल्म को सामाजिक, नैतिक मूल्‍य और नीतिपरक संदेशों का वाहक होना चाहिए: उपराष्ट्रपति
  • उपराष्ट्रपति ने सिनेमा उद्योग को ऐसा कोई कार्य न करने की सलाह दी जो हमारी संस्कृति और परंपराओं को कमजोर करता हो
  • फिल्में हमारा एक प्रमुख सांस्कृतिक निर्यात हैं: उपराष्ट्रपति
  • उपराष्ट्रपति ने दादासाहेब फाल्के पुरस्कार विजेता रजनीकांत और राष्ट्रीय पुरस्कार प्राप्त करने वाले अन्‍य कलाकारों को भी बधाई दी

Uttarakhand

नई दिल्ली

उपराष्ट्रपति एम. वेंकैया नायडू ने आज फिल्म निर्माताओं से अपनी फिल्मों में हिंसा, घोर अश्लीलता और निर्लज्‍जता का चित्रण करने से दूर रहने का आह्वान किया।

लोकप्रिय अभिनेता रजनीकांत को प्रतिष्ठित दादासाहेब फाल्के पुरस्कार और विभिन्न भाषाओं के सिनेमा जगत के अभिनेताओं को राष्ट्रीय पुरस्कार प्रदान करने के बाद उपराष्ट्रपति ने कहा कि एक फिल्म को अच्‍छे उद्देश्य के साथ सामाजिक, नैतिक और नीतिकपरक संदेशों का वाहक होना चाहिए। “इसके अलावा फिल्मों को हिंसा को उजागर करने से दूर रहना चाहिए। फिल्‍म को सामाजिक बुराई के बारे में समाज की अस्वीकृति की आवाज भी होनी चाहिए।

यह देखते हुए कि एक अच्छी फिल्म में लोगों के दिल और दिमाग को छूने की शक्ति होती है। नायडू ने कहा कि सिनेमा दुनिया में मनोरंजन का सबसे सस्‍ता साधन है। उन्होंने फिल्म निर्माताओं और कलाकारों से आग्रह किया कि वे इसका जनता, समाज और राष्ट्र की बेहतरी में उपयोग करें।

सकारात्मकता और प्रसन्‍नता लाने के लिए सिनेमा की जरूरत पर जोर देते हुए उपराष्‍ट्रपति ने कहा कि अनुभव हमें यह बताता है कि एक संदेश देने वाली फिल्म में ही स्थायी अपील होती है। मनोरंजन के अलावा सिनेमा में ज्ञान प्रदान करने की शक्ति भी होती है।

उपराष्ट्रपति ने सिनेमा उद्योग को सलाह दी कि वह ऐसा कोई भी काम न करे जो हमारी सर्वोच्‍च सभ्‍यता की महान संस्कृति, परंपराओं, मूल्यों और लोकाचार को कमजोर करता हो। भारतीय फिल्में दुनिया पूरी दुनिया के दर्शकों को महत्वपूर्ण संदेश देती हैं। फिल्‍मों को बाहरी दुनिया के लिए भारतीयता का एक स्नैपशॉट प्रस्‍तुत करना चाहिए। उन्‍होंने इस बात पर भी जोर दिया कि फिल्‍मों को सांस्कृतिक कूटनीति की दुनिया में प्रभावी राजदूत बनने की जरूरत है।

दुनिया में फिल्मों के सबसे बड़े निर्माता के रूप में भारत की सॉफ्ट पावर का उल्लेख करते हुए उपराष्‍ट्रपति ने कहा कि हमारी फिल्में पूरी दुनिया- जापान, मिस्र, चीन, अमेरिका, रूस, मध्य पूर्व, ऑस्ट्रेलिया और अन्‍य मेजबान देशों में देखी और सराही जाती हैं। उन्होंने कहा कि फिल्में हमारा एक सबसे प्रमुख सांस्कृतिक निर्यात हैं जो वैश्‍विक भारतीय समुदाय को उनके भारत में बिताए गए जीवन की लय से जोड़ने वाली एक महत्वपूर्ण कड़ी के रूप में भी काम करती हैं।

यह देखते हुए कि सिनेमा की कोई भौगोलिक या धार्मिक सीमा नहीं होती है और फिल्‍में वैश्‍विक भाषा बोलती हैं, राष्‍ट्रपति ने कहा कि राष्ट्रीय पुरस्कार न केवल भारतीय फिल्म उद्योग के प्रतिभा पूल पर प्रकाश डालते हैं बल्कि ये सिनेमा उद्योग की समृद्धि और विविधता को भी दर्शाते हैं।

जलवायु परिवर्तन की वास्तविकता की ओर इशारा करते हुए श्री नायडू ने फिल्‍मी बिरादरी से प्रकृति की सुरक्षा के महत्व को उजागर करने के लिए जोर दिया। उन्होंने कहा कि कोविड-19 महामारी ने भी हमें प्रकृति का सम्मान करने का महत्व सिखाया है।

इस वर्ष का दादा साहब फाल्के पुरस्कार प्राप्‍त करने के लिए श्री रजनीकांत को बधाई देते हुए उन्होंने कहा कि इस प्रतिष्ठित अभिनेता की बेजोड़ शैली और अभिनय कौशल ने वास्तव में भारतीय फिल्म उद्योग को एक नया आयाम प्रदान किया है। मूंदरू मुदिचु, शिवाजी: द बॉस, वायथिनिले, बैरवी में उनके यादगार अभिनय का उल्लेख करते हुए उपराष्‍ट्रपति ने कहा कि थलाइवर कलात्मक अभिव्यक्ति और सामूहिक आकर्षण के बीच सही संतुलन का प्रतीक है। कभी-कभी सभी युवा फिल्म निर्माता इस तरह के अच्‍छे प्रयास कर सकते हैं। सिक्किम को सबसे अच्‍छा फिल्म अनुकूल राज्य होने का पुरस्कार मिला है।

केंद्रीय सूचना और प्रसारण मंत्री अनुराग ठाकुर, केंद्रीय सूचना और प्रसारण राज्य मंत्री एस. मुरुगन, सूचना और प्रसारण मंत्रालय के सचिव अपूर्व चंद्रा, फीचर फिल्म्स जूरी के अध्यक्ष एन चंद्रा, गैर-फीचर फिल्म्‍स जूरी के अध्यक्ष अरुण चड्ढा और अन्‍य गणमान्‍य व्‍यक्ति भी इस अवसर पर उपस्थित थे।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *