हरिद्वार
शांतिकुज, हरिद्वार में शनिवार को शांतिकुज स्वर्ण जयंती वर्ष व्याख्यान माला का आयोजन किया गया। इस दौरान गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि गायत्री मंत्र में बहुत शक्ति है।
अमित शाह ने अपने संबोधन में कहा कि ये वर्ष गायत्री तीर्थ शांति कुंज का स्वर्ण जयंती वर्ष तो है ही, साथ ही में देश की आज़ादी के अमृत महोत्सव का वर्ष भी है। उन्होंने कहा कि पंडित राम शर्मा ने इस संस्था के साथ जुड़े सभी लोगों के सामने लक्ष्य, समाज या देश में बदलाव लाने का नहीं बल्कि युग में बदलाव लाने का रखा था। बहुत सारे लोग जो अच्छे काम करते हैं, जिनसे देश में चेतना, देशभक्ति जागृत हो, देश की संस्कृति, हमारे सनातन धर्म को और ऊर्जा मिले, ऐसी गतिविधियां जहां जहां होती हैं, उन्हें बारीक़ी से देखते हैं और समर्थन करने का प्रयास करते हैं। इसी प्रकार गायत्रीतीर्थ शांति कुंज की गतिविधियों को भी देश में बहुत सारे लोग बारीक़ी से देखते हैं।
केन्द्रीय गृह मंत्री ने उपस्थित छात्रों से कहा कि करियर ओरिएंटेड शिक्षा आपको भौतिक सुख तो दे सकती है, लेकिन आध्यात्मिक शांति नहीं दे सकती है। अगर आपको आध्यात्मिक शांति प्राप्त करनी है और इसके माध्यम से समग्र विश्व और देश के कल्याण के लिए और अंततोगत्वा युग बदलने के लिए इस यात्रा में जुड़ना है तो आप एकदम सही स्थान पर हैं। उन्होने कहा कि स्व: की जगह देश व समाज के उत्थान का विचार करना, भारत माता को विश्वगुरु बनाने का विचार करना ही ज्ञान है। श्री शाह ने कहा कि पंडित राम शर्मा ने गायत्री शक्ति पीठों के माध्यम से गायत्री मंत्र को घर घर पहुंचाने का एक बहुत बड़ा प्रयास किया। उन्होंने कहा कि गायत्री मंत्र के 24 अक्षर आपकी 24 सद्ग्रंथियों को जागृत करते हैं और ये जागृत हुई सद्ग्रंथियां आपको देवत्व की ओर ले जाती हैं। अगर आपको दान और वीरता जैसी 24 सद्ग्रंथियों को जागृत करना है तो नित्य गायत्री मंत्र का विधि अनुसार उच्चारण ही आपको उस दिशा में ले जा सकता है। गायत्री मंत्र पृथ्वी पर देवत्व अवतरण करने का सबसे बड़ा राजमार्ग है। भगवान ने सभी को ये 24 सद्ग्रंथियां दी हैं, मगर लोभ, अंहकार, आडम्बर मनुष्य के अंदर ज्ञान की जागृति को बाधित करते हैं, हमें इन्हें अपने अंदर से दूर करने का प्रयास करना चाहिए।
अमित शाह ने कहा कि यह राहत की बात है कि चाहे महर्षि विश्वामित्र हों, महर्षि वशिष्ठ या पराशर ईश्वर ने आपको भी उतनी ही क्षमता दी है। ईश्वर कभी किसी के साथ अन्याय नहीं कर सकता, हर जीव को समान मौके दिए हैं। उन्होने कहा कि मैं व्यक्तिगत रूप से यह मानता हूँ कि गायत्री मंत्र का वेदसम्मत उच्चारण आपके जीवन को परिवर्तित कर देगा। हमारे सनातन धर्म के अंदर शरीर विज्ञान और प्रकृति के अनेकों रहस्य बहुत सरल प्रकार से समझाए गए हैं और सदगुरु मिल जाए तो इसे जानने का प्रयास भी करना चाहिए। केंद्रीय गृह मंत्री ने कहा कि पंडित श्रीराम शर्मा जी ने सतसंकल्पों को संग्रहित करने का काम किया, जो ज्ञान का खजाना है और सभी लोगों को उसे समझना व पढ़ना होगा। मन को कुविचारों और दुर्भावनाओं से बचाएं और इसके लिए अपने जीवन में स्वाध्याय और सत्संग की आदत डालें। इंद्रिय संयम, अर्थ संयम, समय संयम और विचार संयम का जीवन में संयम के साथ अनुपालन करें और अपने आपको समाज का अभिन्न अंग संमझें और सबके हित में ही अपना हित समझें।
केंद्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री ने कहा कि संविधान में दिए गए अधिकारों के लिए बहुत आंदोलन होते हैं किंतु उसी संविधान ने कर्तव्य भी दिए हैं, हमारा ध्यान कर्तव्य की ओर नहीं जाता। अगर हम स्वयं शिष्टता से जीने वाले व्यक्ति हैं तो जब हम अधिकार की बात करते हैं तब कर्तव्यों का पालन करना हमारा फर्ज बन जाता है। उन्होंने कहा की हम सुधरेंगे युग सुधरेगा, हम बदलेंगे युग बदलेगा हम सब इस मंत्र को अपने जीवन का कर्तव्य मंत्र बनाएं। श्री शाह ने कहा कि यदि इस मंत्र को देश के सभी लोग स्वीकार करते हैं तो युग बदलने में भारत की भूमिका स्वत: सुनिश्चित हो जाती है।
अमित शाह ने कहा कि जो हिम्मत करता है ईश्वर हमेशा उसकी मदद करता है और जब लक्ष्य हमारे लिए नहीं होता है तो असफलता की चिंता भी नहीं करनी चाहिए। जब ईश्वर के लिए लक्ष्य है तो हमें इसे पूरा करने का प्रयास करना चाहिए। उन्होंने कहा कि 2014 में नरेंद्र मोदी प्रधानमंत्री बने, जब वे काशी गए और काशी विश्वनाथ का दर्शन कर उन्होने मां गंगा की आरती की तब इस देश में आध्यात्मिक और सांस्कृतिक परिवर्तन की एक नई शुरुआत हुई। श्री शाह ने कहा कि जब भारत का प्रधानमंत्री पशुपतिनाथ के दर्शन के लिए जाता है और भारत के खजाने से रक्तचंदन पशुपतिनाथ के चरणों में समर्पित करता है तब पता चलता है कि देश की दिशा किस तरफ जा रही है। उनका कहना था कि इस परिवर्तन को तभी गति मिलती है जब देश का नागरिक देश के साथ जुड़ता है और हम सबका यह दायित्व है कि सालों के बाद हमें जिस परिवर्तन की अपेक्षा थी उसमें साथ दें।