विजय माटा
हिमशिखर डेस्क
स्वामी रामतीर्थ मिशन (रजि.), दिल्ली के वार्षिकोत्सव के अवसर पर 13 नवंबर 2021 को सनातन धर्म के पुरोधा, महामना, वर्षों तक भारतसाधु समाज के अध्यक्ष रहे, पूज्यप्रवर स्वामी गुरुचरणदास जी महाराज पर कठोर परिश्रम से लिखे ग्रंथ का लोकार्पण हुआ. इस ग्रंथ की सामग्री का संकलन और संपादन किया है श्री राज चावला ने, जो मूलतः एक सीए हैं.
इस ग्रंथ को स्वामी जी के दुर्लभ चित्रों से सजाया गया है. इसमें हैं स्वामी से जुड़ी संस्थाओं के पदाधिकारियों और विशेष महापुरुषों के संस्मरण, जिनसे स्वामी जी के बहुमुखी व्यक्तित्व का पता चलता है.
विदित हो कि स्वामी जी कहा करते थे, ‘कुछ समय बाद त्याग और वैराग्य तथा गुरु-शिष्य जैसे शब्द शब्दकोश में ही देखने को मिलेंगे.’ और वह उनकी भविष्यवाणी आज सत्य होती दिखाई दे रही है.
वह विद्वान संतों को प्रेरित किया करते थे कि वह शहरों के मोह को छोड़ें, क्योंकि ग्रामीण क्षेत्रों में उनकी ज्यादा जरूरत है. गांव की भोली-भाली जनता को धर्म और चमत्कार के नाम पर बुरी तरह ठगा जा रहा है.
स्वामी जी का यह कथन आज भी खुद को सार्थक सिद्ध करता है. सच है यह.
श्री चावला जी ने दिल्ली मिशन की प्रधाना आदरणीया सुनीता जी मल्होत्रा एवं काका हरिओम् जी को ग्रंथ की 1-1 प्रति देते हुए कहा कि ‘मुझे विश्वास है कि रामप्रेमी इसका अध्ययन कर जीवन को सही दिशा में ले जाने की प्रेरणा लेंगे. इससे उनकी आन्तरिक और बाहरी दशा में भी परिवर्तन होगा.’
काकाजी ने स्वामी जी के व्यक्तित्व पर प्रकाश डालते हुए उस एक संस्मरण पर भी चर्चा की, जिससे पता चलता है कि संत निर्भयता की साक्षात् मूर्ति होते हैं. न ही वह किसी से डरते हैं न ही किसी को डराते हैं.
विदित हो कि स्वामी जी का मिशन से विशेष संबंध रहा है. मिशन के प्रथम परमाध्यक्ष पूज्यपाद स्वामी गोविन्द प्रकाश जी महाराज इन्हीं की पावन परंपरा से जुड़े हुए थे.
Well done. Great achievement. Salute to Raj Chawla Ji
Well done Mr.& Writer RAj Chawla . Great sat sat naman 🙏🙏
स्वामी जी कहाकरते थे कि संतों के निकट जाकर अपने दुखड़े न रोवें,केवल भगवद चर्चा करें और उनके प्रवचन ही श्रवण करें। कोटि कोटि प्रणाम।