मठ-मंदिरों पर सरकारी हस्तक्षेप बन्द होना चाहिए : शंकराचार्य निश्चलानन्द सरस्वती

हल्द्वानी।

Uttarakhand

गोवर्धनमठ पुरी पीठाधीश्वर जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामी निश्चलानंद सरस्वती जी महाराज ने कहा कि जीवन में संस्कारों का बड़ा महत्व है। संस्कारों से ही परिष्कृत होकर कोयला, हीरे का रूप ले लेता है। विद्यार्थियों से कहा कि विवेकपूर्ण भगवान को साक्षी मानकर लक्ष्य तय कीजिए, मन चंचल नहीं होना चाहिए, सफलता अवश्य मिलेगी।

उत्तरांचल उत्थान परिषद द्वारा हल्द्वानी में आयोजित गोष्ठी में शंकराचार्य निश्चलानन्द सरस्वती जी ने कहा कि मंदिरों पर सरकार का हस्तक्षेप नहीं होना चाहिए। कहा कि मठ-मंदिरों से सरकारी हस्तक्षेप बन्द होना चाहिए। जब यह देश आपने सेकुलर बना दिया तो धार्मिक और आध्यात्मिक क्षेत्र में सरकार का कोई अधिकार प्राप्त नहीं होता। उन्होंने ये भी कहा कि देश में नकली शंकराचार्य भी घूम रहे हैं। इनको दंडित किये जाने का साहस होना चाहिए।

गो रक्षा की बात कोई भी दल नहीं कर रहा

शंकराचार्य स्वामी निश्चलानन्द सरस्वती जी ने कहा कि गाय को आवारा कहने से उसके प्रति आस्था का भाव ही नहीं रह गया। आज भारत में कोई भी दल खुलकर गो रक्षा की बात नहीं कर रहा। खेती पारंपरिक नहीं रही। मशीनों ने खेत जोतने शुरू कर दिए। गोबर की खाद पर निर्भरता नहीं रही, ऐसे में गो वंश का ह्रास होगा जो इनके विलोप होने का मार्ग प्रशस्त कर रहा है।

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