धरती के लिए अभिशाप है प्रदूषण : डा. ध्यानी


डॉ. पी.पी. ध्यानी

Uttarakhand

कुलपति, श्रीदेव सुमन उत्तराखण्ड विश्वविद्यालय एवं उत्तराखंड प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय


आज 2 दिसंबर को राष्ट्रीय प्रदूषण नियंत्रण दिवस मनाया जा रहा है। दरअसल, प्रदूषण एक ऐसी समस्या बन गई है, जिससे न सिर्फ भारत बल्कि पूरी दुनिया परेशान है। राष्ट्रीय प्रदूषण नियंत्रण दिवस मनाने का उद्देश्य प्रदूषण को रोकने में मदद करने वाले कानूनों के बारे में लोगों को जागरुक करना, औद्योगिक आपदाओं के प्रबंधन तथा नियंत्रण के प्रति जागरूकता फैलाना है। साथ ही इसका मकसद पानी, हवा, मिट्टी के साथ-साथ ध्वनि प्रदूषण को भी फैलने से रोकना है।

पर्यावरण का प्रदूषण प्रत्यक्ष और परोक्ष रूप से जीवन पर असर डालता है। बढ़ते पर्यावरण प्रदूषण के मुख्य कारण मानवीय गतिविधियां हैं, जो कई तरीकों से पर्यावरण को नुकसान पहुंचाती हैं। प्रदूषण कम करने के लिए वैश्विक स्तर पर चिंता की जा रही है।

‘प्रदूषण’ प्रकृति की देन नहीं है, बल्कि मानव की करनी की देन है। मानवीय क्रियाकलापों के चलते आज पृथ्वी का संतुलन बिगड़ रहा है। विश्व के कल-कारखानों के धुएँ से विश्व का पर्यावरण प्रदूषित होता जा रहा है। गाड़ी और मोटरों के धुएं, समेत अनगिनत कारणों से वायु में गैसों का रिसाव हो रहा है। ये जहरीली गैसें जितना प्रकृति को नुकसान पहुंचा रही हैं उससे कहीं ज्यादा इससे मानव समुदाय को खतरा हो गया है।

इस भागदौड़ भरी जिंदगी में जब हम दो पल निकालकर ईश्वर की रचना को निहारते हैं, तो यह सोचकर ही बेहद आश्चर्य होता है कि कितनी अद्भुत रचना ईश्वर ने रची है। इस धरा में आपको और हमें निवास करने का सौभाग्य प्राप्त हुआ है। जरा आसमान में देखिए सूर्यदेव को जो हमें रोजाना मुफ्त में प्रकाश उपलब्ध कराते हैं, तो कभी निहारिए इन लहलहाते वृक्षों को, जो हमें मुफ्त में प्राणवायु प्रदान करते हैं।

Dr P P Dhyani

निसंदेह, इंसान अपनी प्रबुद्धता का सहारा लेकर कितना भी समृद्ध क्यों न हो जाए, लेकिन ईश्वर की रचना की तुलना में उसकी प्रबुद्धता सदैव बौनी ही रहेगी। लेकिन अफ़सोस हम प्राकृतिक संसाधनों का सिर्फ दोहन ही कर रहे हैं। अगर समय रहते इस पर अंकुश नहीं लगाया गया तो निकट भविष्य में स्थिति भयावह हो सकती है, जिसका खामियाज़ा हमारे साथ-साथ हमारी आने वाली पीढ़ियों को भी भुगतना पड़ सकता है, इसलिए प्राकृतिक संसाधनों को संरक्षित करने की दिशा में प्रयास करने की जरूरत है। प्रदूषण को नियंत्रित करना केवल सरकार का कर्तव्य नहीं है कि हम सभी इसमें भाग लें और पर्यावरण को स्वच्छ और रोगमुक्त बनाएं। स्वच्छ पर्यावरण लोगों को अपना काम बेहतर तरीके से करने और जीवन को खुशी से जीने में मदद करता है।

शुद्ध और प्रदूषण मुक्त पर्यावरण से ही बेहतर भविष्य का निर्माण किया जा सकता है। आईए, राष्ट्रीय प्रदूषण दिवस पर देश और राज्य को स्वच्छ और स्वस्थ रखने व पर्यावरण संरक्षण के कार्यों में भागीदार बनने का संकल्प लें।

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