बड़ा रहस्य : योगी असंभव से असंभव कार्य को कैसे चुटकियों में कर देते हैं?

योगी चैतन्य देव

Uttarakhand

भारतीय ज्ञान-विज्ञान अपनी श्रेष्ठता के कारण एक समय में सम्पूर्ण विश्व का आ़ध्यात्मिक नेतृत्व करा चुका है और उसी का परिणाम है कि आज तक पश्चिम के देश अपनी समस्त भौतिक उन्नति के पश्चात आंतरिक संतोष और मानसिक शांति के लिए टकटकी बांध कर केवल और केवल भारत की ओर ही देखते हैं।

विचार कर के देखिए कि क्या विश्व में किसी अन्य देश को ऐसा गौरव, ऐसी प्रतिष्ठा प्राप्त है? और इसका कारण है कि भारत के ऋषियों और मुनियों के पास ऐसी विद्याएं ऐसा ज्ञान और ऐसी श्रेष्ठता रही, जिससे वे न केवल जीवन-पर्यन्त अनेक दुर्लभ सिद्धियों के स्वामी बने रहे, अपितु इन्हीं साधनाओं और सिद्धियों के बल पर वे सभी के जीवन का कल्याण करने वाले अलौकिक शक्तियों से युक्त भी बन सके।

प्रकृति एक प्रकार से उनकी दास बन कर रही और उन्होंने जीवन को पूर्ण उदात्त और गौरव से जीकर दिखा दिया कि किस प्रकार से जीवन में भौतिकता और आध्यात्मिकता कालान्तर में अनेक कारणों से इस परम्परा का हृास आ गया है। जीवन मूल्यों में आए परिवर्तन और व्यक्ति की प्राणश्चेतना में कमी का कारण यह तो संभव नहीं रह गया कि देश में उसी ऋषि युग की भांति गौरवशाली परम्पराएं एवं अलौकिक ज्ञान शक्ति उपलब्ध हो किन्तु ऐसा भी नहीं है कि ये विद्याएं, यह ज्ञान सर्वथा लुप्त हो गया है। हम योगियों के जीवन से सम्बन्धित जिन चमत्कारिक घटनाओं की कथाएं पढ़ते-सुनते हैं, उनके पीछे आधारभूत विद्याएं कौन सी हैं? जिनके बल पर वे असंभव से असंभव कार्य को चुटकियों में कर देते हैं। ऐसी नौ विद्याएं मानी गई हैं-

  1. परकाया प्रवेश
  2. हादी विद्या
  3. कादी विद्या
  4. मदालसा विद्य़ा
  5. वायु गमन सिद्धि
  6. कनकधारा सिद्धि
  7. प्रज्ञा साधना
  8. सूर्य विज्ञान
  9. मृत संजीवनी विद्या

हमारा दुर्भाग्य है कि हम समय रहते सावधान नहीं हो रहे हैं अपने दिमाग के दरवाजे बन्द कर दिए हैं। पूर्वजों की थाती को माखौल बना दिया है और सही अर्थों में आस्थाहीन हो गए हैं। इन नौ विद्या के बारे में अगले लेख में विस्तार से चर्चा करेंगे।

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