जीवन में सच्चाई और अच्छाई के संस्कार यूं ही नहीं आते, बल्कि इसके पीछे परिवार और मित्रों का बड़ा सहयोग होता है। सामाजिक प्राणी होने के नाते मनुष्य अकेला नहीं रहता। वह सुखी जीवन व्यतीत करने के लिए किसी न किसी का संग-साथ जरूर करता है। कोई भी व्यक्ति जैसी संगति में रहता है उसी के अनुरूप उसकी आदतों और व्यवहार में परिवर्तन होता है। संगति अच्छी भी हो सकती है और बुरी भी। जिसको अच्छी संगति मिल गई तो उसका जीवन सुखपूर्वक बीतता है, लेकिन संगति बुरी हुई तो जीवन दुखदाई हो जाता है।
हिमशिखर खबर ब्यूरो
समय कभी किसी के लिए नहीं ठहरता। एक बहती नदी की तरह सतत चलता रहता है। किसी नदी के जिस जल को आपने अभी-अभी स्पर्श किया होगा, वह देखते ही देखते बदल जाता है। वक्त के साथ भी ऐसा ही है। जीवन में चुनौतियां सामने आती रहती हैं, लेकिन अथक श्रम, अनंत धैर्य, अटूट सावधानी और अडिग आत्मबल बनाए रखिएगा।
गीता में कृष्णजी ने अर्जुन से एक बात यह भी बोली थी कि तू जीता हुआ ही है, क्योंकि सत्य के पक्ष में है। ईश्वर के संविधान का यह एक ऐसा संवाद है जो आदेश बन जाता है। हमारा सत्य इस समय आत्मविश्वास के साथ सावधानी और स्वास्थ्य की रक्षा है।
हम नई वस्तुओं, नई सुविधाओं को तो जीवन में जोड़ने के लिए हमेशा आतुर रहते हैं। जीवन में कुछ नए-अच्छे व्यक्तियों की खोज करिए और उनमें से जो बहुत अच्छे हों उन्हें जीवन में उतार लीजिए। जीवन में अच्छे लोगों की संगति, उनका साथ आत्मबल बढ़ाने में बहुत सहायक होता है। सच्चे और अच्छे विचारों तथा आचरण वाले लोगों का साथ हमें सन्मार्ग की ओर जाने के लिए प्रेरित करता है। अच्छी संगति व्यक्ति को उच्च सामाजिक स्तर प्रदान करती है। साथ ही विकास के लिए सही मार्ग चुनने की प्रेरणा देती है।
अच्छे लोगों की संगति बड़ी-से-बड़ी कठिनाइयों का सफलतापूर्वक सामना करने की शक्ति प्रदान करती है और सबसे बढ़कर व्यक्ति को स्वाभिमान प्रदान करती है। अच्छी संगति मिलने पर बुरे से बुरा कर्म करने वाला भी अच्छाई की ओर बढ़ने लगता है। इतिहास में ऐसे अनेक संत महात्मा हुए हैं जिनकी संगति में आकर बड़े-बड़े डाकुओं ने भी हत्या और पाप का कार्य छोड़ सदाचार के मार्ग को अपनाया है।