किशोर उपाध्याय किसी दूसरे दल का दामन थामेंगे या कांग्रेस में उन्हें लेकर उपजे अविश्वास को खत्म करने नए सिरे से सक्रिय होंगे। इसे लेकर वह पिछले कई दिनों से अज्ञातवास में वेट एंड वाच की मुद्रा में हैं। कयास लगाए जा रहे हैं कि आज थोड़ी देर में वह सियासी अटकलों के बीच अपनी चुप्पी को तोड़ेंगे।
- उपाध्याय चाहते हैं कि उत्तराखंड का आगामी विधानसभा चुनाव पर्वतीय राज्य के मुद्दों को लेकर लड़ा जाए।
- उपाध्याय वनाधिकार आंदोलन के प्रणेता हैं जो राज्य के वन संसाधनों पर स्थानीय लोगों के अधिकार की लड़ाई लड़ रहा है।
नई टिहरी।
कांग्रेस के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष किशोर उपाध्याय किसी दूसरे दल का दामन थामेंगे या कांग्रेस में उन्हें लेकर उपजे अविश्वास को खत्म करने नए सिरे से सक्रिय होंगे, इसे लेकर फिलहाल वह मंथन कर रहे हैं। 40 साल से ज्यादा समय से पार्टी से जुड़े किशोर पार्टी के अन्य नेताओं के रवैये से आहत नजर आ रहे हैं। खास बात यह है कि उन्होंने इस पूरे मामले में अभी तक कुछ भी नहीं कहा है। हालांकि, उन्होंने बताया कि समय आने पर पूरी बात खुलकर सामने रखेंगे। यही कारण है कि दिग्गज नेता किशोर के चुप्पी साधने के कारण पहाड़ की ठंड में टिहरी की सियासत में गर्मी ला रखी है।
टिहरी बनी हॉट सीट, भाजपा ने घोषणा रोकी
टिहरी सीट पर पूर्व प्रदेश अध्यक्ष किशोर उपाध्याय कांग्रेस के दावेदार हैं। लेकिन पिछले दिनों भाजपा से मेलजोल के चलते कांग्रेस हाईकमान उन पर गाज गिरा चुका है। वहीं, भाजपा ने पहली सूची में टिहरी विधानसभा सीट पर प्रत्याशी घोषित नहीं किया है, जिस कारण कई चर्चाएं तैर रही हैं। चर्चा है कि इस सीट पर भाजपा किशोर पर दांव खेल सकती हैं। अब आज मामले में तस्वीर साफ होने की उम्मीद है।
जंगल के वजूद और पुश्तैनी हक-हकूक की लड़ाई लड़ रहे किशोर
वनाधिकार आंदोलन के प्रणेता किशोर उपाध्याय चाहते हैं कि उत्तराखंड का आगामी विधानसभा चुनाव पर्वतीय राज्य के मुद्दों को लेकर लड़ा जाए। कहना है कि पहाड़ी इलाकों के पानी को कुछ राज्यों में लोगों को निशुल्क दिया जा रहा है, लेकिन उत्तराखंड के पहाड़ी इलाकों के लोग दो बूंद पानी के लिए तक मोहताज हो रहे हैं। जिस कारण दिल्ली सरकार की तर्ज पर राज्य सरकार प्रत्येक परिवार को पर्याप्त पेयजल निशुल्क उपलब्ध कराए। वें बताते हैं कि वन एवं पर्यावरण की रक्षा की एवज में उत्तराखंड़ के प्रत्येक परिवार को प्रतिमाह एक रसोई गैस सिलेंडर तथा 100 यूनिट बिजली निशुलक देने, पूर्व की भांति राज्य के हर पहाड़ी इलाकों के लिए परिवार को भवन निर्माण के लिए रेत, बजरी, पत्थर और लकड़ी मुफ्त देने, वन एवं प्राकृतिक संसाधनों पर उत्तराखंड वासियों के परंपरागत हक-हकूकों की रक्षा करते हुये वन क्षेत्र की जड़ी-बूटी के दोहन का अधिकार स्थानीय बेरोजगार युवाओं को देने, जंगली जानवरों द्वारा मानव हत्या या विकलांगता के एवज में मृतक या विकलांग या आश्रित परिवार को 25 लाख रुपये मुआवजा व परिवार के एक सदस्य को सरकारी नौकरी देने, जंगलों जानवरों द्वारा फसल को नुकसान पहुंचाने पर उचित मुआवजा, वन अधिकारी कानून 2006 को अविलंब लागू करने के साथ ही उत्तराखंड राज्य को हर साल 10 हजार करोड़ रुपये ग्रीन बोनस के रूप में दिया जाए।
44 साल से कांग्रेस से जुड़े हैं किशोर
किशोर उपाध्याय वर्ष 1978 से कांग्रेस से जुड़े हुए हैं। पार्टी के साथ उनका लंबा साथ रहा है। वर्ष 2002 और वर्ष 2007 में वे टिहरी से विधायक रहे। वर्ष 2012 में वे टिहरी से चुनाव हार गए थे। 2017 में वे अपनी परंपरागत सीट टिहरी को छोड़ कर चुनाव लड़ने देहरादून सहसपुर सीट पर पहुंचे। यहां से भी उन्हें हार मिली। 2014 में उन्हें पार्टी का प्रदेश अध्यक्ष बनाया गया। वे 1991 से ऑल इंडिया कांग्रेस कमेटी के सदस्य भी रहे।