नई दिल्ली
केन्द्रीय वित्त एवं कॉरपोरेट कार्य मंत्री निर्मला सीतारमण ने सोमवार को संसद में आर्थिक समीक्षा 2021-22 पेश करते हुए कहा कि इस वर्ष की आर्थिक समीक्षा का मूल विषय “त्वरित दृष्टिकोण” है, जिसे कोविड-19 महामारी की स्थिति में भारत के आर्थिक क्रियाकलाप के माध्यम से कार्यान्वित किया गया है। इसके अलावा, आर्थिक समीक्षा की प्रस्तावना यह बताती है कि “समग्र दृष्टिकोण” फीडबैक, वास्तविक निष्कर्षों की तत्काल निगरानी, व्यावहारिक प्रतिक्रियाओं, सुरक्षा संबंधी उपायों आदि पर आधारित है।
केंद्रीय वित्त एवं कॉरपोरेट कार्य मंत्री निर्मला सीतारमण ने बताया कि विभिन्न रूपों में कुछ फीडबैक पर आधारित नीति निर्माण हमेशा ही संभव रहा है, आज खासकर “त्वरित रूप-रेखा” प्रासंगिक है, क्योंकि आंकड़ों की बहुतायत के कारण निरंतर निगरानी की सुविधा है। ऐसे विवरण में अन्य तथ्यों के अलावा जीएसटी संग्रह, डिजिटल भुगतान, उपग्रह से ली गई तस्वीरें, बिजली का उत्पादन, कार्गो आवाजाही, आंतरिक/बाहरी व्यापार, बुनियादी संरचना का विकास, विभिन्न योजनाओं का कार्यान्वयन, आवाजाही के संकेतक आदि शामिल हैं। इनमें से कुछ सार्वजनिक मंच के रूप में उपलब्ध हैं, किंतु अब अनेक रूपों में बहुत से आंकड़े निजी क्षेत्र द्वारा तैयार किये जा रहे हैं। इसलिए समीक्षा बताती है कि एक प्रारूप के बारे में लगाए गए अनुमान के स्थान पर बदलती स्थिति में अल्पकालिक नीतियां तैयार की जा सकती हैं।
इस संरचना में योजना का महत्वपूर्ण स्थान है, किंतु यह अधिकांशतः घटनाक्रम के प्रवाहों के ठोस अनुमान के स्थान पर परिदृश्य विश्लेषण के लिए, कमजोर वर्गों की पहचान के लिए और नीति संबंधी विकल्पों को समझने के लिए हैं। समीक्षा में बताया गया है कि इस बहुमूल्य आर्थिक समीक्षा में इस पहुंच के बारे में न केवल इसका संक्षिप्त उल्लेख किया गया है, बल्कि यह इस समीक्षा का मूल विषय है।
अत्यंत अनिश्चितता की स्थितियों में नीति निर्माण के लिए कला तथा विज्ञान, इस आर्थिक समीक्षा में शामिल एक अन्य विषय है। यह न केवल कोविड-19 महामारी की अनेक लहरों द्वारा उत्पन्न तात्कालिक बाधाओं तथा अनिश्चितताओं से संबंधित है, बल्कि प्रौद्योगिकी, उपभोक्ताओं के व्यवहार, आपूर्ति श्रृंखलाओं, भू-राजनीति, जलवायु परिवर्तन तथा अनेक अन्य घटकों में त्वरित बदलाव के कारण कोविड-पश्चात विश्व के बारे में दीर्घकालिक अनिश्चितता से भी संबंधित है। न केवल इन घटकों के बारे में अनुमान लगाना कठिन है, बल्कि मूल रूप से उनके प्रभाव के बारे में अनुमान लगाना भी संभव नहीं है। अनिश्चतता की यह पहचान हमें दीर्घकालिक आपूर्ति पक्ष की रणनीति के बारे में संकेत देती है। इन नीतियों का महत्व, जो एक ओर जहां नवाचार, उद्यमिता और जोखिम के साथ आर्थिक व्यवहार्यता को प्रोत्साहित करता है, वहीं दूसरी ओर टिकाऊ बुनियादी सुविधाओं, सामाजिक सुरक्षा हितों तथा वृहद आर्थिक क्रियाकलापों में निवेश पर भी जोर देता है।
आर्थिक समीक्षा में बताया गया है कि भारत सरकार की अनेक नीतियां एक अनिश्चित भविष्य से बचाव करने अथवा इसका लाभ प्राप्त करने से संबंधित हैं। यह अपने पाठकों से विनियमन, प्रक्रिया सरलीकरण, निजीकरण, विदेशी मुद्रा भंडार में वृद्धि, महंगाई पर रोक, सबके लिए आवास, हरित प्रौद्योगिकी, दिवालिया एवं दिवालापन संहिता, गरीबों के लिए स्वास्थ्य बीमा, वित्तीय समावेशन, बुनियादी सुविधाओं पर व्यय, प्रत्यक्ष लाभ अंतरण आदि से लेकर निराशाजनक मानी जाने वाली नीतियों के बीच संबंधों को समझने की अपेक्षा करती है।
प्रस्तावना में 1950-51 में की गई प्रथम समीक्षा से लेकर आर्थिक समीक्षाओं के “व्यापक क्रमिक विकास” पर संक्षिप्त विवरण भी शामिल है। समीक्षा में आर्थिक समीक्षाओं के माध्यम से भाषा, सांख्यिकी, प्रारूपों, विषयों, वृहदता, संभावना और अनुमानित विवरणों के रूपों में अनेक बारीक-वृहद चित्रणों का उल्लेख किया गया है। यह एक रोचक तथ्य है कि प्रथम समीक्षा के बाद एक दशक से अधिक समय तक, समीक्षा के दस्तावेज को केंद्रीय बजट में मिला दिया गया था।
हाल के वर्षों में आर्थिक समीक्षा को दो पुस्तिकाओं के रूप में प्रस्तुत किया जाता था, जिसे बदलकर इस आर्थिक समीक्षा में छोटा करके एक पुस्तिका और एक अलग सांख्यिकीय सारणियों की एक पुस्तिका के रूप में परिवर्तित करके प्रस्तुत किया गया है। पिछले कई वर्षों के दौरान, इस दस्तावेज के बढ़ते आकार के कारण पिछले वर्ष लगभग 900 पृष्ठों की आर्थिक समीक्षा 2020-21 काफी बोझिल हो गई थी। इसलिए, इस वर्ष की समीक्षा को बदलकर एक पुस्तिका और सांख्यिकीय सारणियों की एक अलग पुस्तिका के रूप में सीमित किया गया है। सांख्यिकीय सारणियों की एक अलग पुस्तिका की अवधारणा का लक्ष्य इसे एक स्थान पर अधिकृत आंकड़े के स्रोत के रूप में विशिष्ट पहचान करना है। आर्थिक समीक्षा में यह आशा की गई है कि यह आगामी कुछेक वर्षों में विभिन्न फीडबैक की पहुंच पर जोर दिये जाने के अनुरूप नए प्रकार के सामाजिक-आर्थिक आंकड़ों को शामिल करके नए रूप में विकसित होगी।
क्षेत्रवार अध्यायों के साथ-साथ, इस वर्ष की समीक्षा में एक नया अध्याय जोड़ा गया है, जो शहरीकरण, बुनियादी सुविधाओं, पर्यावरण प्रभाव, खेती के प्रचलनों आदि विभिन्न आर्थिक परिदृश्यों से अवगत कराने के लिए उपग्रह तथा भू-स्थानिक चित्रों के इस्तेमाल को दर्शाता है।