ऊखीमठ।
दुष्टों का संहार करने वाली मां भगवती के दर्शन मात्र से सारे पाप धुल जाते हैं। मां काली अच्छे लोगों को फल व बुरे लोगों को परिणामस्वरूप दण्ड देती है। ऐसा माना जाता है कि आज भी मां काली अपने भक्तों पर अपनी दृष्टि बनाई हुई हैं। मां काली के वैसे तो अनेकों मंदिर हैं लेकिन एक मंदिर ऐसा भी है जहां मां काली स्वंय निवास करती हैं।
जी हां, हम बात कर रहे हैं उत्तराखण्ड में स्थित कालीमठ मंदिर की। इस मंदिर में जितनी मान्यता हैं वहीं इसका रहस्य उतना ही पुराना है। कहा जाता है कि आज भी इस मंदिर में मां काली के होने का ऐहसास होता है। देवभूमि के रुद्रप्रयाग जिले के केदारनाथ की चोटियों से घिरा हिमालय में सरस्वती नदी के किनारे स्थित प्रसिद्ध शक्ति सिद्धपीठ श्री कालीमठ मंदिर स्थित है। यह मंदिर समुन्द्रतल से 1463 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है।
बताते चलें कि गुप्त नवरात्रि आज यानी 2 फरवरी से शुरू हो चुकी है, जिसका समापन 10 फरवरी 2022 दिन गुरुवार को होगा। आज गुप्त नवरात्रि के पहले दिन घट स्थापना की गई। इसके बाद 9 दिनों में हर दिन मां दुर्गा के अलग-अलग स्वरूप की पूजा होगी। इसी क्रम में वैश्विक महामारी कोरोना संक्रमण से विश्व में शांति प्रदान करने, विश्व कल्याण व क्षेत्र की खुशहाली की मंगल कामनाओं के लिए दिल्ली के एक दानी द्वारा सिद्धपीठ कालीमठ में नौ दिवसीय गुप्त नवरात्रों के पावन अवसर पर चण्डिका सप्तशती महायज्ञ का विधिवत शुभारंभ हो गया है।
नौ दिवसीय चण्डिका सप्तशती महायज्ञ के शुभारंभ अवसर पर ब्राह्मणों के वेद ऋचाओं से कालीमठ घाटी का भूभाग भक्तिमय बना हुआ है। महायज्ञ के प्रथम दिन सैकड़ों भक्तों ने शामिल होकर भगवती काली के दर्शन किये। नौ दिवसीय चण्डिका सप्तशती महायज्ञ 10 फरवरी को पूर्णाहुति के साथ सम्पन्न होगा। नौ दिवसीय चण्डिका सप्तशती महायज्ञ में मात्र 11 ब्राह्मण ही प्रतिभाग कर रहे है तथा कोविड गाइडलाइन व आचार संहिता के नियमों का सख्ती से पालन किया जा रहा है।यह आयोजन दिल्ली के सुप्रसिद्ध व्यवसायी दिनेश कनौडिया के प्रतिनिधि श्रेष्ठप्रकाश भट्ट के द्वारा करवाया जा रहा है।